
रामकोला धरसमला मंदिर का इतिहास
मंदिरों की गाथा गाने वाले उत्तर प्रदेश में अनेकों देवी मंदिर है।
पौराणिक इतिहास को अपने गर्भ में समेटे हुए मंदिरों की कहानियां आपके दिलों को छू जाएगी।
उत्तर प्रदेश के हर मंदिर की अपनी अलग कथा, कई पौराणिक किवदंतियों को बयां करती है तो कुछ वास्तविक घटनाओं को कलयुग में जीवित रखे हुए है।
उत्तर प्रदेश के कप्तानगंज में स्थित रामकोला धर्मसमधा दुर्गा मंदिर की कहानी बताने जा रहे है।कहानी एक राजकुमारी कि है कि, जिसके पति की मृत्यु रहस्मयी ढ़ग से हो जाती है, मौत से आहत होकर राजकुमारी सती हो जाती है, जिन्हें वर्तमान में लोग दुर्गा सती माता के रुप में पूजते है।
चारो ओर पोखर से घिर मंदिर में दर्शन मात्र से आत्मिक शांति की अनुभूति होती है।
अविवाहिताओं के दर्शन करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
मंदिर पहुंचने के लिए आप देश के किसी भी कोने से रेलमार्ग की सहायता से रामकोला पहुंच सकते है, इसके लिए आपको पहले गोरखपुर जंक्शन तक सफर करना होगा, जिसके बाद लोकल पैसेंजर ट्रेन, बस या निजी ट्रैक्सी से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
चलिए जानते हैं, धर्मसमधा दुर्गा मंदिर की पूरी कहानी।
करीब 500 साल पूर्व की बात हैं कुस्मही गांव में राजा मदनपालसिंह पाल राज करते थे।
विवाह के उपरांत राजा के घर में एक कन्या ने जन्म लिया।
कन्या को माता का स्वरूप मानकर उसकी जन्मकुंडली राज पुरोहित को दिखवाई।
कुंडली देख के राज पुरोहित चौक गए और राजा को बताया कि, बालिका की कुंडली में विवाह दोष है।
पुरोहित ने राजा को बताया कि, विवाह के बाद कोहबर में कन्या के पति को बाघ (शेर) मार देगा, जिससे उसके पति की मौत हो जाएगी। चिंतित राजा ने राज पुरोहित से इस समस्या के समाधान के बारे में पूछा, तो राज पुरोहित ने इस परेशानी का निदान करते हुए बताया कि, विवाह स्थल से मंडल तक एक सुंदर भवन बनवाया जाएं और उसके चारों ओर पोखरा (तालाब) का निर्माण करवाया जाए।जिससे शेर छलांग लगाकर कोहबर तक ना पहुंच सके. जिस स्थान पर विवाह मंडप और पोखर बनवाया गया था वहीं स्थान वर्तमान में रामकोला स्थित धर्मसमधा दुर्गा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. धीरे-धीरे समय बीतता गया और कन्या के विवाह का दिन नजदीक आया।
विवाह संपन्न हुआ दो दिनों बाद कोहबर का समय आया तो राजकुमारी अपने पति को कोहबर में लेकर गई।कोहबर में जब राजकुमार को नाउन (हजामिन) ने उबटन (बुकवा) लगाया तो मजाक करते हुए हल्दी के पिंड को एकत्र कर एक शेर बनाया, अब होनी को कुछ और ही मंजूर था।
जैसे ही हजामिन के राजकुमार से मजाक करते हुए कहा कि, यह शेर है, और हजामिन के मुंह से शेर शब्द निकला, हल्दी का पिंड सच मुच का शेर बन गया और राजकुमार को मारडाला।यह घटना पूरे राज्य में आग की तरह फैल गई, राजकुमारी को जब इस बात का पता चला तो वह अपने पति के शव को गोद में लेकर चीता पर बैठ गई और सती हो गई।