
सम्पादकीय
संतोष नारायण बरनवाल अमूल्यरत्न न्यूज सम्पादक
जीवन के हर सांस का सरगम वन्दे मातरम्– वन्दे मातरम्
पैदा हुआ हुआ हूं जिस मिट्टी मे उसी को सजदा उसी को नमन,!
वन्दे मातरम्——–……..
वन्दे मातरम गाना किसी भी मुस्लमान के लिए नाजायज है!
अगर गाएगा तो मुस्लिम नहीं काफिर है!
इस फतवा का समर्थन कर बोल गया धर्म गुरु नाईक है!एक सच्चे देश भक्त पर फतवा जारी कर उलेमाओं ने अपने कुनबे में भिखारी बना दिया!
लेकिन टस से मस नहीं हुआ सच्चा राष्ट्रभक्त मुस्लिम् युवक जो लगातार 16 वर्ष से बिनाअन्न खाएं संघर्ष कर रहा है।
घर बार के लोग घर से निकाल दिए!
कसूर महज इतना था कि मदरसों में वन्देमातरम के गान की अनिवार्यता का समर्थन कर दिया था!
फिर क्या था आसमां तपने लगी!
मजहबी धरती आग उगलने लगी।
और इसी की आग में उलेमा झुलसने लगे।
सारे देश में हाय तौबा मच गया हो गया बवाल!
एक मुसलमान होकर वन्देमातरम का गुणगान कैसे करने लगा यह हर तरह उठने लगा सवाल?
सर कलम करने के फतवा के बाद से ही मुड़ी कटवा आज तक पीछे पड़े हैं!
मगर अल्लाह की निगहबानी में सच्चा हिन्दुस्तानी पाकिस्तानी सोच रखने वालों को लगातार ललकार रहा है!
यह कोई कहानी नही जनाब!
आगरा के गुल चमन शेरवानी की दर्दनाक दास्तान उन्हीं की जुबानी है!
बस उसका कसूर इतना की वह भारत का सच्चा सिपाही है!
कट्टर पंथी उलेमाओं के लिए सरदर्द बनकर मचा रखा तबाही है!
अपनी कौम के देश भक्तो की कतार में सबसे आगे बढकर कायम किया मिसाल है!
सम्पुर्ण जीवन देश के लिए समर्पित कर अपने को साबित कर दिया असली हिन्दुस्तानी है!
बस यही दर्द उलेमाओं को अन्दर तक साल रहा है कि इस काफिर से नाराज हो गया खुदा आसमानी है!
चौंकिए नहीं साहब -आईए गूलचमन शेरवानी की बताते है हकीकत भरी दास्तान!
जो सारे जहां में मचा रखा है तूफान!
लेकिन समय बदल गया साहब अब तो वन्दे मातरम गाने को भी तैयार हो गया पाकिस्तान!
इस देश की मिट्टी में पैदा होकर नमक हरामी करने वालों जरा गौर फरमाते अपने पाक मजहबी कुरान पर!
चार वक्त का नमाज़ी अल्लाह की रहमत से महफूज हैं!
उस पर तोहमत लगाने के पहले एक बार अपनी उन्मादी कट्टर पंथी सोच पर मशवरा कर लेते!
तो शायद अल्लामा इकबाल, कबीर व रहीम की इस सर जमी हिन्दुस्तान पर नाज करते!
इस जमीं का नमक खाकर यही पर शंकू से मरते!
दोखज में जाने से बचते!
जिसने अपने वतन से गद्दारी किया उसपर कहां अल्लाह मेहरबान हुआ इतिहास गवाह है!
जरा दर्द भरी दास्तान देश भक्ति के परिधान में सुसज्जित देश भक्त का उसी की ईबारत में पढिए सुनिए!—
मेरा नाम गुल चमन शेरवानी है! मैं उत्तर प्रदेश के आगरा से हूं! राष्ट्रगीत वंदे मातरम तथा तिरंगा प्रेम के चलते मुझे मेरे परिजनों ने 9 वर्ष की उम्र में 27 जनवरी 1992 को घर से निकाल दिया था! मैंने इधर-उधर फुटपाथ पर अपना जीवन बिताया 6/9/ 2006 को वंदे मातरम की शताब्दी वर्षगांठ पर केंद्र सरकार ने सभी सरकारी संस्थानों में सामूहिक रूप से वंदे मातरम के गायन की अनिवार्यता तय की थी जिस पर सुन्नी उलेमा बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद सलाउद्दीन कादरी ने फतवा जारी करते हुए कहा था कि मुसलमान अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में पढ़ने के लिए ना भेजें जहां वंदे मातरम गाया जाता है।
मैंने उक्त फतवे की मुखालफत तथा वंदे मातरम का समर्थन किया!
तो मुस्लिम कट्टरपंथियों ने मेरा विरोध शुरू कर दिया।
उलेमाओं ने मुझे काफिर करार दे दिया!
और मेरे खिलाफ मरने के बाद कब्रिस्तान में न दफनाने का फतवा जारी कर दिया!
मैंने 14 अगस्त 2006 से दीवानी चौराहा स्थित भारत माता की प्रतिमा पर वंदे मातरम का विरोध करने वाले दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी सहित देश के 10 बड़े मौलाना ऊपर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज कराने की मांग की तो मेरा देश भर के साथ-साथ मुस्लिम देशों में भी विरोध शुरू हो गया!केंद्र सरकार ने आनन फानन में वंदे मातरम के गायन की अनिवार्यता खारिज कर दी! प्रशासन ने जबरन मुझे मेरी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल से हटा दिया! उस समय मैंने शपथ ली कि जब तक वंदे मातरम का विरोध करने वाले मौलाना के ऊपर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा कायम नहीं होता मैं अन्न ग्रहण नहीं करूंगा!16 बरस बीत जाने के बाद भी मैंने आज तक अन्न ग्रहण नहीं किया है!मुस्लिम कट्टरपंथी मेरी जान के दुश्मन बने हुए हैं! आप पूरी सच्चाई गूगल पर यूट्यूब पर सर्च कर गुल चमन शेरवानी की वतन परस्ती देख सकते हैं! यह इबारत एक मुस्लिम युवक की दर्द भरी कहानी है मगर आज तक इस देशभक्त की कठोर तपस्या पर सरकार की नज़रे इनायत क्यों नहीं हुई!आखिर मांग भी तो जायज है! क्या देशभक्ति का तराना गाना समर्थन करना ग़लत है!चाहे किसी भी कौम का ही कोई क्यों न हो!साथियों क्या गुल चमन शेरवानी ने गलत किया!
क्या वन्दे मातरम से किसी धर्म सम्प्रदाय के हितों पर कुठाराघात होता है! क्या कोई मजहब धर्म इससे आहत होता है!अगर नहीं तो इतना बड़ा बवाल क्यों!यह सवाल अब तो हल हो जाना चाहिए! गूलचमन शेरवानी की जायज मांग पर सरकार को गम्भीरता से विचार कर कार्रवाई करनी चाहीए! अगर ऐसा नहीं होता है तो हिन्दुस्तान का खाकर पाकिस्तान का गुणगान करने वाले हमेशा मुस्कराते रहेंगे! देश भक्त आशक्त! मजहबी उन्माद की छांव में देश द्रोही सशक्त बनकर विद्रोह की ईबारत लिखते रहेंगे
वन्दे मातरम्—- जयहिंद 🙏🏿🙏🏿