
अब जिम्मेदारों पर भी होगी कार्रवाई: नौ साल से लगा रहे थे दौड़, चंद घंटों में हो गई वरासत
गोरखपुर में नौ साल से वरासत के लिए दौड़ लगा रहे पिपराइच के लखेसरा के भूपेंद्र का काम शुक्रवार को चंद घंटों में ही हो गया। वहीं कमरूनिशा और भगवंत का भी पांच साल बाद खतौनी में नाम दर्ज हो गया। व्यवस्था में यह बदलाव कमिश्नर रवि कुमार एनजी और डीएम विजय किरन आनंद की संजीदगी के बाद दिखाई पड़ा। अब इन फरियादियों को दौड़ाने वालों को भी चिह्नित कर उनपर कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल कमिश्नर रवि कुमार एनजी एक नई पहल के तहत रोजाना 10-10 गांवों के प्रधानों से गांव की समस्याओं को लेकर संवाद कर रहे हैं। इस दौरान कई प्रधानों ने यह शिकायत की कि वरासत, जाति, आय आदि मामलों को लेकर उनके गांव के कई ग्रामीण परेशान हैं। कभी लेखपाल नहीं मिलते तो कभी कानूनगो। इसे गंभीरता से लेते हुए कमिश्नर ने ऐसे गांवों की सूची तैयार कराई और डीएम को पूरा वाकया बताते हुए उनसे कैंप लगाकर मामलों का निस्तारण कराने को कहा।
डीएम ने भी बिना समय गवाएं न केवल संबंधित गांवों में कैंप की तारीख घोषित कर दी बल्कि अधिकारियों-कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगा दी। निगरानी के लिए नोडल अफसर भी तैनात कर दिए। पहले चरण में सदर के 31 और चौरीचौरा तहसील के छह गांवों में शुक्रवार से दो दिवसीय कैंप की शुरुआत हुई। यह सिलसिला आगे दूसरी तहसीलों में भी जारी रहेगा।
लंबे समय से वरासत, आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र के लटके मामले शुक्रवार से निपटने शुरू हो गए। सदर के खोराबार, पिपराइच, भटहट, चरगांवा ब्लॉक में पहुंचे अधिकारियों और कर्मचारियों ने गंभीरता से फरियादियों की समस्याओं को सुना और मौके पर ही निर्विवाद वरासत समेत अन्य मामलों का निस्तारण कराया। सभी गांवों में सर्वाधिक मामले वरासत के ही आए।