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🪸 एक परम सत्य 🪸
परब्रह्म
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के तीन भाग हुऐ
ॐ
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ब्रह्मा विष्णु महेश
भावार्थ
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अर्थात ये तीनों एक ही शक्ति हैं। परब्रह्म ने स्वंय को तीन भागों में इसलिए बांटा की इस सृष्टी का चालन उत्तम प्रकार से कर पायें।
1- परब्रह्म का पहला भाग ब्रह्मा जी ।
2- परब्रह्म का दूसरा भाग विष्णु जी ।
3- परब्रह्म का तीसरा भाग शिव जी ।
परब्रह्म अपने पहले भाग ब्रह्मा जी से इस सृष्टी का निमार्ण करते हैं।
सृष्टी का सृजन करते हैं अर्थात ब्रह्मा जी सृष्टी के जन्मदाता हैं।
सभी की उत्तपत्ति ब्रह्मा जी से हुई है।
परब्रह्म अपने दूसरे भाग विष्णु जी से इस सृष्टी का पालन-पोषण करते हैं। और सभी के दुख हर लेते हैं।
इसलिए इनको हरि कहा जाता है।
परब्रह्म अपने तीसरे भाग शिव जी से इस सृष्टी का संहार करते हैं। सृष्टी को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करते हैं।
अर्थात शिव मुक्ति दाता हैं।
संसार मे जितनी भी शक्तियाँ हैं वो सब इन्ही तीनों अर्थात परब्रह्म से जन्मी हैं। परमात्मा एक ही हैं लेकिन सृष्टी के चलन की प्रक्रिया सरल करने के लिए तीन भागों में बटें हैं।
इन तीनों में न कोई अधिक शक्तिशाली है और न ही कोई कम शक्तिशाली है। तीनों एक ही हैं। इन तीनों मे कोई अन्तर नही। तीनों में कोई भी एक श्रेष्ठ नही है। तीनों ही उत्तम हैं।
इनमे भेद करने वाला मनुष्य अज्ञानी होता है जिसने अपने मन की स्थिति में (ब्रम्हा विष्णु महेश) को एक कर लिया………….
अर्थात परब्रम्ह में श्रेष्ठता ढूंढना बन्द कर दिया। वो अपने आराध्य देव को बहुत जल्दी प्रसन्न कर पायेगा। और जीवन के जटिल तथ्य को सरलता से समझ पायेगा।
ब्रह्मा विष्णु महेश की जय हो
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