
माँ के लिए छोटी सी कहानी…………
मेरी माँ की सिर्फ एक ही आँख थी और इसीलिए मैं उनसे बेहद नफ़रत करता था |
वो फुटपाथ पर एक छोटी सी दुकान चलाती थी |
उनके साथ होने पर मुझे शर्मिन्दगी महसूस होती थी |
एक बार वो मेरे स्कूल आई और मै फिर से बहुत शर्मिंदा हुआ |
वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है ?
अगले दिन स्कूल में सबने मेरा बहुत मजाक उड़ाया |
मैं चाहता था मेरी माँ इस दुनिया से गायब हो जाये |
मैंने उनसे कहा, ‘
माँ तुम्हारी दूसरी आँख क्यों नहीं है?
तुम्हारी वजह से हर कोई मेरा मजाक उड़ाता है |
तुम मर क्यों नहीं जाती ?’
माँ ने कुछ नहीं कहा |
पर,
मैंने उसी पल तय कर लिया कि बड़ा होकर सफल आदमी बनूँगा ताकि मुझे अपनी एक आँख वाली माँ और इस गरीबी से छुटकारा मिल जाये |
उसके बाद मैंने मेहनत से पढाई की |
माँ को छोड़कर बड़े शहर आ गया |
यूनिविर्सिटी की डिग्री ली|
शादी की |
अपना घर ख़रीदा |
बच्चे हुए |
और मै सफल व्यक्ति बन गया |
मुझे अपना नया जीवन इसलिए भी पसंद था क्योंकि यहाँ माँ से जुडी कोई भी याद नहीं थी |
मेरी खुशियाँ दिन-ब-दिन बड़ी हो रही थी,
तभी अचानक मैंने कुछ ऐसा देखा जिसकी कल्पना भी नहीं की थी |
सामने मेरी माँ खड़ी थी,
आज भी अपनी एक आँख के साथ |
मुझे लगा मेरी कि मेरी पूरी दुनिया फिर से बिखर रही है
मैंने उनसे पूछा,
‘आप कौन हो?
मै आपको नहीं जानता |
यहाँ आने कि हिम्मत कैसे हुई?
तुरंत मेरे घर से बाहर निकल जाओ |’
और माँ ने जवाब दिया, ‘
माफ़ करना,
लगता है गलत पते पर आ गयी हूँ |’
वो चली गयी और मै यह सोचकर खुश हो गया कि उन्होंने मुझे पहचाना नहीं |
एक दिन स्कूल री-यूनियन की चिट्ठी मेरे घर पहुची और मैं अपने पुराने शहर पहुँच गया |
पता नहीं मन में क्या आया कि मैं अपने पुराने घर चला गया |
वहां माँ जमीन पर मृत पड़ी थी |
मेरे आँख से एक बूँद आंसू तक नहीं गिरा |
उनके हाथ में एक कागज़ का टुकड़ा था…
वो मेरे नाम उनकी पहली और आखिरी चिट्ठी थी |
उन्होंने लिखा था :
मेरे बेटे…
मुझे लगता है मैंने अपनी जिंदगी जी ली है |
मै अब तुम्हारे घर कभी नहीं आउंगी…
पर क्या यह आशा करना कि तुम कभी-कभार मुझसे मिलने आ जाओ…
गलत है ?
मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है |
मुझे माफ़ करना कि मेरी एक आँख कि वजह से तुम्हे पूरी जिंदगी शर्मिन्दगी झेलनी पड़ी |
जब तुम छोटे थे,
तो एक दुर्घटना में तुम्हारी एक आँख चली गयी थी |
एक माँ के रूप में मैं यह नहीं देख सकती थी कि तुम एक आँख के साथ बड़े हो,
इसीलिए मैंने अपनी एक आँख तुम्हे दे दी |
मुझे इस बात का गर्व था कि मेरा बेटा मेरी उस आँख कि मदद से पूरी दुनिया के नए आयाम देख पा रहा है |
मेरी तो पूरी दुनिया ही तुमसे है |
चिट्ठी पढ़ कर मेरी दुनिया बिखर गयी |
और मैं उसके लिए पहली बार रोया जिसने अपनी जिंदगी मेरे नाम कर दी… मेरी माँ|