
#मंदिर चाहिये या #रोजगार ?
इस प्रश्न में दूषित मानसिकता छिपी है। लेकिन क्या इसका उत्तर वही है, जो हम दे रहे हैं?
पिछले दिनों मैं अपने परिवार के साथ एक बड़े मंदिर गया। पूजा से पहले दुकान से प्रसाद लिया, चढ़ाने के लिए माला ली । हमने तो तुरंत दर्शन कर लिये, बाकी लोग विधि विधान के साथ पूजा पाठ कर रहे थे।
जिज्ञासु प्रवृत्ति से मैं मंदिर के चारों तरफ घूमने लगा। हर दुकान, ठेलियों को देखा कि कौन क्या बेच रहा है।
फिर सब लोगों ने एक जगह चाट खाई, एक जगह जलेबी, फिर एक दुकान से महिलाओं ने अपने लिए श्रृंगार आदि का सामान लिया, फिर आगे आकर सब लोगों ने चाय पी।
फिर अचानक ध्यान आया कि यह मंदिर दो से ढाई हजार लोगों को रोजगार दे रहा है। यह काम तो हजारों करोड़ लगाकर कोई कम्पनी नहीं कर सकती है।
लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात है। मंदिर किसको रोजगार दे रहा है ! ये वे लोग हैं ,जिनके पास किसी संस्थान से डिग्री नहीं है। इतना धन नहीं है कि कोई बड़ा निवेश कर सकें। अर्थव्यवस्था में समाज के निचले स्तर के लोग हैं।
तब समझ में आया कि
मंदिर
करोड़ों लोगों को रोजगार देते हैं।
कैसे…… ?
१.धार्मिक पुस्तक बेचने वालों को और उन्हें छापने वालों को रोजगार देते हैं।
२. माला बेचने वालों को, घंटी-शंख और पूजा का सामान बेचने वालों और उन्हें बनाने वालों को रोजगार देते हैं।
३. फूल वालों को, माला बनाने वालों और फूल उगाने वाले किसानों को रोजगार देते हैं।
४. मूर्तियां-फोटो बनाने और बेचने वालों को रोजगार देते हैं।
५. मंदिर प्रसाद बनाने, बेचने वालों और किसानों भी को रोजगार देते हैं।
६. कांवड़ बनाने-बेचने वालों को भी रोजगार देते हैं।
७. रिक्शे वाले गरीब लोग जो कि धार्मिक स्थल तक श्रद्धालुओं को पहुंचाते हैं, उन रिक्शा और आटो चालकों को रोजगार देते हैं।
८. लाखों पुजारियों को भी रोजगार देते हैं।
९. रेलवे की अर्थव्यवस्था का १८% हिस्सा मंदिरों से चलता है।
१०. मंदिरों के किनारे जो गरीबों की छोटी-छोटी दुकानें होती हैं, उन्हें भी रोजगार मिलता है।
११. मंदिरों के कारण अंगूठी-रत्न बेचने वाले गरीबों का परिवार भी चलता है।
१२. मंदिरों के कारण दिया बनाने और कलश बनाने वालों को भी तो रोजगार मिलता है।
१३. मंदिरों से उन हजारों खच्चरवालों को रोजगार मिलता है, जो कि श्रद्धालुओं को दुर्गम पहाड़ों पर प्रभु के द्वार तक ले जाते हैं।
१४. भारत में दो लाख से अधिक जो होटल हैं और धर्मशालाएं हैं उनमें रहने वाले लोगों को मंदिर ही तो रोजगार देतें हैं।
१५. तिलक बनाने वाले- नारियल और सिंदूर आदि बेचने वालों को भी ये मंदिर रोजगार देते हैं।
१६. गुड-चना बनाने वालों और किसानों को भी मंदिर रोजगार देते हैं।
१७. तिल-तेल बेचने वालों, तेल निकालने वालों और किसानों को भी मंदिर रोजगार देते है
१८. लाल-काला कपड़ा बेचने वालों, बनाने वालों और किसानों को भी हमारे मंदिर रोजगार देते हैं।
१९. मंदिरों के कारण लाखों अपंग और भिखारियों और अनाथ बच्चों को रोजी-रोटी मिलती है।
२०. मंदिरों के कारण लाखों वानरों की रक्षा होती है और सांपों की हत्या होने से बचती है।
२१. मंदिरों के कारण ही हिंदू धर्म में पीपल-बरगद -पिलखन- आदि वृक्षों की रक्षा होती है।
२२. मंदिर के कारण जो हजारों मेले हर वर्ष लगते हैं- मेलों में जो चरखा-झूला चलाने वालों को भी तो रोजगार मिलता है।
२३. मंदिरों के कारण लाखों टूरिस्ट मंदिरों में घूमते हैं और छोटे-छोटे चाय-पकौडे़-टिक्की बेचने वाले सभी गरीबों और अनाज पैदा करने वाले किसानों का जीवन यापन भी तो चलता है।
सनातन धर्म उन करोड़ों लोगों को रोजगार देता है, जो गरीब हैं।
जो ज्यादा पड़े लिखे नहीं हैं और जिन के पास धन-जमीन और खेती नहीं है।
जिनका कोई नहीं उनका राम है।
उनका श्याम है उनका शिव है,
माता है, हनुमान जी हैं।
यह मंदिर जब तक रहेंगे,
तब तक रोजगार देते रहेंगे।