
इहलोक और परलोक में सुख चाहने वाले पीपल का वृक्ष अवश्य लगाएं ।। सभी प्रकार के ग्रहदोष शांति का उत्तम उपाय है, पीपल का वृक्ष लगाना ।।
●पुराणों में वर्णन मिलता है की जलाशय के समीप पीपल का वृक्ष लगाकर मनुष्य जिस फल को प्राप्त करता है , वह सैकड़ों यज्ञों से भी नहीं मिल सकता । प्रत्येक पर्व के दिन जो उसके पत्ते जल में गिरते हैं , वे पिण्ड के समान होकर पितरों को अक्षय तृप्ति प्रदान करते हैं तथा उस वृक्ष पर रहने वाले पक्षी अपनी इच्छा के अनुसार जो फल खाते हैं , उसका ब्राह्मण भोजन के समान अक्षय फल होता है ।
●गर्म के समय में गौ देवता और ब्राह्मण जिस पीपल की छायामें बैठते हैं , उसे लगाने वाले मनुष्य के पितरों को अक्षय स्वर्ग की प्राप्ति होती है । अतः सब प्रकार से प्रयत्न करके पीपल का वृक्ष लगाना चाहिये ।
●पीपल का एक वृक्ष लगा देने पर भी मनुष्य स्वर्ग से भ्रष्ट नहीं होता ।
●जो मनुष्य स्नान करके पीपलके वृक्षका स्पर्श करता है , वह सब पापोंसे मुक्त हो जाता है ।
●जो बिना नहाये पीपलका स्पर्श करता है , उसे स्नानजन्य फल की प्राप्ति होती है ।
●पीपल के दर्शनसे पाप का नाश और स्पर्श से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है | उसकी प्रदक्षिणा करनेसे आयु बढ़ती है । अश्वत्थ वृक्ष को हविष्य , दूध , नैवेद्य , फूल , धूप और दीपक अर्पण करके मनुष्य स्वर्ग से भ्रष्ट नहीं होता ।
●पीपलकी जड़ के पास बैठकर जो जप , होम , स्तोत्र पाठ और यन्त्र मन्त्रादिके अनुष्ठान किये जाते हैं , उन सबका फल करोड़गुना होता है ।
●पीपल की जड़ में श्रीविष्णु , तने में भगवान् शङ्कर तथा अग्रभाग में साक्षात् ब्रह्माजी स्थित है , उसे संसार में कौन नहीं पूजेगा ??
●सोमवती अमावास्या को मौन होकर स्नान और एक हजार गौओं का दान करने से जो फल प्राप्त होता है , वही फल पीपल वृक्ष को प्रणाम करने से मिल जाता है ।
●पीपल की सात बार प्रदक्षिणा करने से दस हजार गौओं के और इससे अधिक अनेकों बार परिक्रमा करनेपर करोड़ों गौओंके दान का फल प्राप्त होता है । अतः पीपल वृक्षकी परिक्रमा सदा ही करनी चाहिये ।
●पीपलके वृक्ष के नीचे जो फल , मूल और जल आदि का दान किया जाता है , वह सब अक्षय होकर जन्म – जन्मान्तरों में प्राप्त होता रहता है ।
●पीपलके समान दूसरा कोई वृक्ष नहीं है । पीपल वृक्ष के रूप में साक्षात् श्रीहरि ही इस भूतल पर विराजमान हैं ।
●जैसे संसार में ब्राह्मण , गौ तथा देवता पूजनीय होते हैं , उसी प्रकार पीपलका वृक्ष भी अत्यन्त पूजनीय माना गया है ।
●पीपल को रोपने , रक्षा करने , छूने तथा पूजने से वह क्रमशः धन , पुत्र , स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करता है ।
●जो मनुष्य पीपल वृक्षके शरीर में कहीं कुछ चोट पहुँचाता है— उसकी डाली या टहनी काट लेता है , वह एक कल्पतक नरक भोगकर चाण्डाल आदिकी योनिमें जन्म ग्रहण करता है और जो कोई पीपलको जड़से काट देता है , उसका कभी नरकसे उद्धार नहीं होता । यही नहीं , उसकी पहली कई पीढ़ियाँ भयंकर रौरव नरक में पड़ती हैं ।
●बेल के आठ , बरगद के सात और नीम के दस वृक्ष लगानेका जो फल होता है , पीपलका एक पेड़ लगानेसे भी वही फल होता है ।