कुशीनगर में DM की दरियादिली — दुख में डूबे परिवारों के बीच जमीन पर बैठकर पूछी पीड़ा, गांव भावुक
स्थानीय संवाददाता…..
पांच मासूमों की मौत के बीच प्रशासनिक सख्ती नहीं, मानवीय संवेदना लेकर पहुंचे डीएम महेन्द्र सिंह तंवर
कुशीनगर। पिपरा खुर्द गांव इन दिनों मातम में डूबा है। छोटे-छोटे बच्चों की मौत ने पूरे गांव की खुशियाँ छीन ली हैं। हर घर का दर्द अलग है, पर आंसू सबके एक जैसे…।
इसी बीच सोमवार को जिलाधिकारी महेन्द्र सिंह तंवर दूसरी बार गांव पहुँचे। लेकिन इस बार उनका व्यवहार लोगों को भीतर तक छू गया।
जब वे राजकुमार के घर पहुँचे, तो वहां परिजन दरवाजे पर बिछी एक साधारण चटाई पर बैठकर रो रहे थे। डीएम ने माहौल देखा, पर औपचारिकता नहीं निभाई—
न कुर्सी मांगी, न मेज़… बस चुपचाप उसी चटाई पर परिजनों के बीच बैठ गए।
एक पल को परिवारजनों की आंखें रुक गईं। गांव के बुजुर्ग कहने लगे— आज पहली बार लगा कि कोई हमारा दर्द सच में समझने आया है।
डीएम ने धैर्य से हर बात सुनी। बच्चों की याद में रोते माता-पिता के कंधे पर हाथ रखकर बोले—
आप अकेले नहीं हैं… यह बीमारी जानवरों से फैल रही है। प्रशासन हर पल आपके साथ खड़ा है। आपकी चिंता अब हमारी जिम्मेदारी है।
गांव के लोग बताते हैं कि इतने भारी माहौल में एक अफसर का इस तरह ज़मीन पर बैठना उन्हें भीतर तक सहारा दे गया।
स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार निगरानी में जुटी हैं, लेकिन गांव अब भी दहशत में है कि कहीं और कोई मासूम हादसे का शिकार न हो जाए।
पिपरा खुर्द की हवा आज भी दुख से भारी है, पर गांव के लोग कहते हैं—
सरकार मशीन होती है… पर आज हमें इंसानियत दिखी।

