
सम्पादकीय
✍🏾जगदीश सिंह सम्पादक✍🏾
मुझसे बेहतर बन गया तेरी निगाहों में कोई!!
जरूर तीसरा आ गया है राहों में कोई!!
कैसे सो जाऊं यह जानते हुए
तुझे लेकर सोता है बाहों में कोई??
त्रिया चरित्रम देवो न जानत!
हां बिल्कुल सच सुना आप ने हकीकत की दहलीज पर जब वास्तविकता पछाड़ मारकर रोती है तब नेह के दीपक में जलती स्नेह की बाती से निकलती ज्योति का रंग बदला बदला सा दिखता है।
उस दीपक के नीचे का अंधियारा हमेशा सचेत करता है कि रौशनी का प्रकाश विश्वासके क्षितिज पर धरातल से केवल उपर है नीचे धोखे का अन्धरा कायम है।
जरा सी चूक हुई तो मोहब्बत के परीन्दे रौशनी पर काबिज हो जायेंगे।
आजकल उत्तर प्रदेश की फिज़ा में एक बेवफा एसडीएम की बेवफाई की चर्चा जोरों पर है अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का!
यह तराना हर कोई गुन गुना रहा है।सोसल मिडिया में एक पति की दर्द भरी कहानी सभी की जुबानी चर्चा में है।
सच के धरातल पर बेवफाई का नजारा देखकर सिसक रहा है एक पत्नी भक्त बेचारा!चारों तरफ शोर है सोसल मिडिया में बेवफा पत्नी जो बड़ी पदाधिकारी है के चरित्र का बेवाक वर्णन है रहा है।
दिल में चोट लगी आलोक मौर्या को और दर्द से कराहने लगे वे पत्नी भक्त जो अपनी पत्नियों को तैयारी करवा रहे थे।
मुसीबत का पहाड खड़ा कर दिया एसडीएम साहिबा ने विवाहिता औरतों पर जो सपनो की उड़ान में पतियों के भरोशे मचल रही थी ।
महिला सशक्तिकरण के इस युग में जब बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा गूंज रहा है देश का परिवेश बदल रहा है ऐसे में एक उदाहरण ने लोगों का मन बिचलितत कर दिया।
चर्चाओ के बाजार में उठा सवाल बवाल पैदा कर दिया -बीबी मत पढ़ाओ वर्ना हश्र देख रहे हो भाई।
आखिर एक ही मछली तालाब गन्दा कर देती है वाली कहावत को ज्योति मौर्या ने साबित कर दिया!
दर दर भटकता दो बच्चियों का बाप भविष्य के ताने बाने में उलझकर रह गया।
बेवफाई के इल्ज़ाम में पहले से ही बदनाम औरत जाति के लिए नफ़रत की जो लहर चल निकली है उसका खामियाजा वो भी हो रही है जिनके लिए घर परिवार ही सब कुछ होता है।
दे तमाम उदाहरण मौजूद हैं पति की खुशी के लिए बड़ी ओहदे की नौकरी को भी लात मार दी है वफ़ा की देबियो ने!
समाज में मान सम्मान के साथ जीने का हक दिलाने वाली अर्धांगिनीयो के बदौलत ही सभ्य समाज में पुरुष नारी को पूज्यनीय का दर्जा देकर खुशहाल जीवन जी रहा है।
सदियों से बेवफाई के किस्से मशहूर जरुर है- मगर छोड़ेंगे न हम तेरा साथ वो साथी मरते दम तक का तराना भी मशहूर है!
न जाने क्यों वफ़ा के बदले वफ़ा नहीं मिलता!
यह सवाल भी आज के वातावरण में विचरण कर रहा है।
सोसल साईट पर जबरदस्त जबानी फाइट चल रही है पति चपरासी पति एसडीयम पत्नी की कहानी को देखकर लोग कहने लगे हैं तोता मैना की कहानी अब पुरानी हो गयी!
आज कल यक्ष प्रश्न बना सवाल क्या पत्नियों को उच्च शिक्षा नहीं दिलाना चाहिए!
क्या वास्तव में वक्त के साथ औरत बदल जाती है!
इस पर समाज मन्थन नये सिरे से शुरु कर दिया है।
एसडीएम साहिबा की बेवफाई पर किसी भी महिला सामाजिक संगठन ने समर्थन नहीं दिया है!
हकीकत के धरातल पर चपरासी पति की विवसता सभी के दिल मे हमदर्दी का तूफान खड़ा कर दिया है!
कल क्या होगा यह तो नहीं पता लेकिन आज वह हर पति सशंकित है जो अपनी पत्नी को आईएस पीसीएस की तैयारी करवा रहा था एक की ग़लती ने तमाम लोगों के भविष्य को गर्त मे गिरा दिया!
सरकार के द्वारा चलाए जा रहे महिला सशक्तिकरण अभियान का उदाहरण बनकर दिखा दिया है ज्योति मौर्या !
मजबूर पति जिसके लिए अपनी कुर्बानी देकर बुलन्दी पर पहुंचाया कर्ज के बोझ में दबकर तड़फड़ा रहा है पत्नी की बेवफाई की आग में झुलस कर से मौत मर रहा है।
ज़िन्दगी की टूटी सड़क पर न ई गाड़ी केवल उछलती है मगर पीच पर पहुंच कर वक्त का एक्सीलेटर कन्ट्रोल नहीं किया तो हादसा निश्चित है।
सबका मालिक एक
🕉️ साईं राम🙏🏿🙏🏿
जगदीश सिंह सम्पादक राष्टीय अध्यक्ष राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत 7860503468