
धर्म आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने वाली महिलाएं ही भारतीय संस्कृति संस्कार नैतिक शिक्षा को बचाकर रखती हैं। संतोष गंगेले कर्मयोगी
नौगांव छतरपुर 19 नवंबर 2023
नौगांव नगर के जो भी देवस्थान धार्मिक मंदिर हैं उनके प्रांगण में आसपास कार्तिक माह में भगवान श्री कृष्णा योगेश्वर की एवं राधा रानी रुक्मणी की पूजा करने वाली महिलाएं और बेटियां एक माह तक व्रत उपवास और संयम साधना रखती हैं । कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रथम दिवस को भगवान श्री कृष्णा पूजा स्थल से लापता हो जाते हैं जिससे कार्तिक स्नान करने वाली महिलाएं 5 दिन तक उन्हें वृंदावन गोकुल आसपास ग्रामीण में ढूंढते हैं । इस प्रकार की रीति रिवाज परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है दिवाली के बाद आने वाले पंचमी को धार्मिक तीर्थ स्थल पर स्नान करने के बाद भगवान को प्राप्त करती हैं। अपने कन्हैया के वापस मिलने पर भगवान श्री योगेश्वर सभी महिलाएं खुश होकर अपने पूजा स्थल पर नृत्य करती हैं और भगवान की भक्ति में डूब जाती हैं । वहीं से श्री कृष्ण के बारे में कविता गायन करने वाली कवि किसके रूप में महिलाओं को संवाद करने के लिए 10 दिन तक रास्ता रुकते हैं और संवाद करते हैं ।
पांचवें दिन श्री कन्हैया मिलने के बाद कतिकारियों ने अपने पूजा स्थल पर पूजा कर नृत्य किया।
नौगांव नगर के दूल्हा बाबा मंदिर श्री राम दरबार एवं हनुमान जी मंदिर के सामने 20 दिन पूर्व से चली आ रही पूजा आज धूमधाम से की इस अवसर पर कन्हैया के रूप में श्री राजाराम गुप्ता पलेरा वाले द्वारा लाइन खींचकर कार्तिक स्नान वाली महिलाओं से संवाद किया राधिका के रूप में कतिकारियों ने सवाल जवाब को उत्तर दिया और मक्खन दान देकर के अपना कर्तव्य निभाया इस अवसर पर बुंदेलखंड के समाज से भी संतोष गंगेले कर्मयोगी द्वारा कार्तिक स्नान करने वाली महिलाओं से संकल्प दरवाजा की वह घर में समंजन सुमति और संगठित होकर पारिवारिक जीवन का निर्वहन करेंगे बहु बहु में अंतर नहीं समझेगी दहेज एक सामाजिक कलंक कैसे मिटाने में हम भूमिका निभाएंगी।
वार्ड नंबर 4 गुलाब शाह बाबा के पास शिव मंदिर पर कभी श्री गोविंद दास रिछारिया जी द्वारा कृष्ण के रूप में संवाद किया और कार्तिक स्नान करने वाली महिलाओं ने जवाब दिया।
अवसर पर संगीत और मायके व्यवस्था की गई थी कार्यक्रम वार्ड नंबर 4 में श्री मोनी यादव और उनके परिवार ने सभी का स्वागत सम्मान किया ।
समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी ने धार्मिक स्थलों पर पहुंचकर नारी शक्ति महिलाओं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को गति दी और महिलाओं से निवेदन किया है कि वह पारिवारिक कलह को दूर करने में धर्म आध्यात्मिकता के क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं ही भारतीय संस्कृति संस्कारों को बचा सकती हैं और पारिवारिक कलह दूर करने में उनकी एवं भूमिका हो सकती है वर्तमान में परिवार बिखेर रहे हैं उनको संयुक्त बनाने में महिलाओं की अहम भूमिका हो सकती है इसलिए उन्हें सहनशील और साहस और धैर्य के साथ जीवन जीने के लिए सहनशीलता का परिचय देना होगा ।
आने वाली नौमी के दिन इच्छा नवमी के रूप में त्यौहार मनाया जाता है और कार्तिक स्नान करने वाली महिलाएं आंवला के वृक्ष के नीचे विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर ली जाती हैं और अपने घर परिवार के साथ कन्याओं और परिवार के साथ भोजन करती हैं एकादशी के बाद उन्हें 5 दिन तक निर्जला रहकर की पूजा अर्चना आराधना करनी होती है यह तपस्या बहुत कठिन होती है । पूर्णिमा के दिन कार्तिक स्नान करने वाली माता बहनों महिलाओं के भाई बहनों द्वारा बनाए गए विभिन्न विभिन्न तरह-तरह की पकवान पूजा स्थल पर ली जाती हैं और भाई आकर के बहन के सम्मान में नगदी जेवर वस्त्र दान देते हैं महिलाएं अपने भाइयों का तिलक करती हैं और भाई अपनी बहनों को कार्तिक स्नान करने के लिए दान दक्षिणा जेवरात सोने चांदी हैसियत के अनुसार दान देते हैं।
केतिका लगने पर महिलाएं 24 घंटे तक पानी नहीं पीती हैं उसके बाद जलपान ग्रहण करती हैं।
कार्तिक मां का महीना महिलाओं के लिए त्याग तपस्या संयम का महीना होता है और पुरुषों को महिलाओं से एक मां दूर रहकर संयम नियम से चलने की प्रेरणा और शक्ति मिलती है ।