डांडी मार्च की सच्चाई।
१९३० में महात्मा गांधी नें डांडी मार्च किया।
१९३० से पहले भारत में कोई भी व्यक्ति समुद्री नमक नहीं खाता था।
बल्कि समुद्री नमक निर्यात किया जाता था।
डांडी मार्च का उद्देश्य भारतीयों को समुद्री नमक की लत लगाना था।
डांडी मार्च का अंग्रेजी अखबारों में बढ़ा चढ़ाकर वर्णन किया गया और एक तरह से यह समुद्री नमक का प्रचार किया गया था।
अंग्रेजों को पता था कि भारत के लोग शरीर से बड़े बलिष्ठ होते हैं और इन्हें आमने-सामने के युद्ध में कभी हराया नहीं जा सकता।
समुद्री नमक तेजाब की तरह होता है, जो कि लीवर और आंतों को नष्ट कर देता है।
भारत के लोग नमक का सेवन १९३० से पहले बहुत ही कम करते थे वो भी सेंधा नमक और डले वाले नमक के रूप में।
किंतु अंग्रेज अपनी चाल में कामयाब हुए और गांधी को इसका मोहरा बनाया गया था।
आज भी भारत के लोग समुद्री नमक ही चाट रहें हैं और अपनी पाचन शक्ति क्षीण करते जा रहें हैं।
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