
सम्पादकीय
✍🏿संतोष नारायण बरनवाल सम्पादक✍🏿
गुरूबतो से बावास्ता ये सफर यूं गुजरे हैं कि!
मेहरबां वो न होते तो मंजिल बस ख्वाब ही रह जाती!!
ज़िन्दगी का गुजरता हर लम्हा तन्हा होने का एहसास करता पल पल उम्र के अनमोल क्षणों को क्षारित करते आने वाले कल को अग्रसारित कर रहा है। संसार के मायावी मेला में स्वार्थ का खेला चरम पर है। हर कोई उसी तरफ मन्त्र मुग्ध होकर विशुद्ध आत्मीयता का प्रदशर्न करते अपनों के हमदर्दी में खोया हुआ है।
इन्सानियत, आदमीयत, लावास्ता हो गई है। गुरुर का आलम यह है कि धर्म कर्म को भी स्वार्थ के वशीभूत मतलब के तराजू में लोग तौलने लगे है।जहां अपशब्द के साथ विभत्स वाक्य बोलकर एक दुसरे को नीचा दिखाने का कृत्य हो रहा है वहीं अपने वजूद को भी कलंकित कर रहा है आदमी।
आजकल कुछ सियासत के घमंडी पाखंडी शीखन्डी जिनका खुद का चरित्र विचित्र स्थिति में चर्चित है वो भी पौराणिक पुस्तकों की चौपाइयों का अपने हिसाब से विश्लेषण करने लगे है!अपनी नाकामी को छिपा कर खुद की पहचान छिपाकर सियासी सितारा की बुलन्दी और बरकत के लिए गन्दी हरकत पर उतर आए,आजकल एक बिरादरी विशेष कोआन्दोलि करने के लिए उम्र के अवशेष का कुरूप चेहरा दिखाकर विकृति भरे शब्द के जहर से जुबान को भीगोकर सियासी निवेश का जुगाड करने में लगे हुए हैं। इसी सारगर्भित चौपाई का हवाला देकर समाज में तफरका का खेल कर रहे हैं।
ढोल गंवार शूद्र पशु नारी
ए सब ताड़ना के अधिकारी!
इस चौपाई का विकृति भरा विश्लेषण करने वाला सियासत का शागिर्द कौम के साथ नमक हरामी कर नीच कामी खुद को स्वामी कह रहा है। जिसके पीछे नाकामी खड़ी मुस्करा रही है।
जाके प्रभु दारूण दुख: दीन्हा!
ताकी मति पहले हर लीन्हा ??
महाज्ञानी तत्वबोध ज्ञाता बाबा तुलसी दास ने उक्त चौपाई ऐसे ही भाग्यहीनो के लिए लिखा होगा! जिनके न कुल खानदान का पता है न जाति धर्म का वो भी कटाक्ष कर रहे है धर्म पर जो खुद के मोक्ष के लिए उसी रामचरित मानस का सुबह शाम अभिराम जप करते है।समय काल को देख भूत भविष्य वर्तमान का आत्म दर्शन करने वाले महाज्ञानी परमानन्द से अभिभूत अवधूत भगवान श्रीराम के उपासक,जिन पर स्वयं मां सरस्वती देवी की कृपा बरसती थी! उस महाकवि के कलम से उच्चारित एक एक शब्द जिसमें अनेक अर्थ समाहित है के चौपाइयों का विश्लेषण आजकल महा मूर्ख भी सियासी मंचों से कर रहे हैं!आजकल जाति बिरादरी की हवा तूफान बनती जा रही है! और उसी आंधी में अपनी बर्बादी की ईबारत तुक्ष मानव लिखने लगा है!रहीम खान खाना ने भी एक दोहा लिखा है? क्या समाज में जहर बीजारोपित करने वाले इस दोहे के अर्थ का भी विश्लेषण कर सियासी मंचों से हूंकार भरेंगे !सवाल पैदा नहीं होता! क्यों की फतवा जारी हो जायेगा! वे बे मौत मरेंगे! सियासत की रियासत में हिफाजत मुश्किल हो जायेगा?
ऊरुग, तुरंग नारी,नृपति नीच जाति हथियार!—-
रहिमन इन्हें सम्हालिए पल टत लगै न वार!!—
दोगले सियासतदारों और धर्म द्रोही समाज विद्रोही कलमकारो जरा इस दोहे का भी अर्थ कलम से विस्तारित करो न!
सियासत में कुकरमुत्ते के तरह उग आए सियासतदारो सियासी मंचों से लोगों को इसका अर्थ भी बताओ न!
क्या इसमें अच्छाई है! क्या तुलसी दास की चौपाई में बुराई है?
अर्थ का अनर्थ कर स्वार्थ में अन्धा होकर सियासत का धन्धा चमकाने का ख्वाब शायद अब तेरा कभी भी पूरा नहीं होगा कालिया!
काबिलीयत की घूटी पीकर जीभर कर हिन्दू धर्मग्रंथो का उपहास करने वाले महाज्ञानी पत्रकार अजीत अंजुम साहब क्यों पत्रकारिता को कलंकित कर रहे हो!सच की स्याही सूख गई है क्या!
गलत का बिरोध कलमकार के लिए जरुरी है!
मगर फन्डिग के सहारे समाज में जहर घोलना कहां की बुद्धिमानी है।पंख कटे कबुतर के तरह फड़फड़ा कर आसमानी उड़ान कहां सम्भव है।
सियासत की बैसाखी के सहारे…….
लोगों के बीच पहचान छिपाकर सोमवंशी ठाकुर से मौर्या बनने वाले सियासतदार का पर्दाफाश हो गया!प्रबुद्ध समाज तुमको लानत भेज रहा है! हिम्मत हो तो रहीम दास के दोहे का भी विश्लेषण शुरु कर दो तेरी औकात का पता लग जायेगा!
तेरी काबिलियत का भी भौकाल अकाल दम तोड देगा!
नीचता की पराकाष्ठा पारकर धर्म ग्रंथ जलाने वालों नफरत की आग धीरे धीरे सम्पुर्ण देश मे फैल चुकी है! यही तुम चाहते थे!लेकिन भूल गए की रामराज आ रहा है!रावण का विनाश निश्चित है!अभी समय है कर लो प्रायस्चित वर्ना अंजाम तो सभी जानते हैं।लंका भी जलेगी रावण भी मरेगा।आज नहीं तो कल धर्मध्वजा आसमान पर फहरेगा!यह भारत है इसमें सभी धर्म मजहब को समानता का अधिकार है!किसी भी मजहब धर्म पर कमेन्ट उचित नहीं है।
दुनियां के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की खूबी से विश्व आश्चर्यचकित हैं।
लेकिन कुछ मानसिक रोगी सन्त फकीर योगी पर ही मिथ्या आरोप लगाकर अपने को कर्मयोगी साबित करना चाह रहे हैं।समय के समन्दर में न जाने कितने सिकन्दर ग़र्क हो गए
न धरती बदली न आसमां!सियासी वीधर्मियो से सावधान रहे! ए अपने मतलब के लिए कुछ भी कर सकते हैं। सबका मालिक एक ऊं साईं राम🙏🏾🙏🏾