
सम्पादकीय
✍🏿जगदीश सिंह सम्पादक✍🏿
सुबह मगरुर को वो शाम भी रकर देता है!
शोहरतें छीन कर गुमनाम भी कर देता है?
वक्त से आंख मिलाने की हिमाकत न करो!!
वक्त इंसान को नीलाम भी कर देता है??
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मैं समय हूं !मेरा आज तक कोई हमराह नहीं बन सका! जिसको चाहा जब चाहा झुका दिया! जब चाहा जिसको चाहा आसमान पर बिठा दिया! मैं समय हूं आज तक कोई भी मेरी बक्र दृष्टी से नहीं बच सका! बलशाली से बलशाली को थाली थमाकर भीख मंगा दिया! महाप्रतापी से महाप्रतापी को भी धूल चटा दिया! रंक को राजा राजा को रंक बना देने की ताकत सिर्फ हमारे में समाहित है!क्यों की मैं समय हूं।न कभी झुका न कभी रूका! निरन्तर प्रवाहमान हूं! मैं ही सम्मान हूं! मैं ही अभिमान हूं! मैं ही आत्म सम्मान हूं! मेरे से ही कायनात की ब्यवस्था संचालित होती है!मेरे ही प्रभाव से ही प्रकृति मुस्कुराती है! मेरे ही प्रभाव से ही तबाही आती है! मैं समय हूं! मेरे पर किसी का भी प्रभाव नहीं है! मैं स्वतन्त्र हूं! काल भी मेरे आदेश पर कहीं बवाल तो कहीं भौकाल बनाता है?जिसने मुझे पहचान लिया मेरे साथ चलने का हूनर सीख लिया वह दिव्य बिभूतियो से बिभूषीत होकर जीवन काल में अपना अलग इतिहास बना देता है!मैंने ही महाभारत भी कराया! मैने ही राजा हरिष्चन्द को डोम के घर बिकवाया! मैं ही आदि हूं! मैं ही अन्नन्त हूं।मेरे ही प्रभाव में आकर सन्त भी दिग दिगंत में अपनी पहचान बना पाते हैं! जीव जन्तु, पशु पक्षी , चर अचर, जल चर जलचर, निशाचर, भी मेरे आदेश पर ही प्रकृति के प्रवाह में प्रवाहित होते है?मैं समय हूं! न मेरा उदय है न अन्त है? वर्तमान भूत भविष्य सब मेरे गुलाम है। हमने दुनियां को उजड़ते देखा है! दुनिया को बसते देखा है! मै ही इतिहास हूं! मैं ही प्रयास हूं! जो चाहूं कर सकता हूं! मैं समय हूं ! सन्यासी को राजा राजा को भिखारी कितनों को बना दिया!तैमूर लंग को दिल्ली का बादशाह वहीं बहादुर शाह जफर को शहंशाह से भिखारी बना दिया!मैं समय हूं! परिवर्तन की पराकाष्ठा को आस्था के साथ समर्पित लोगों के सानिध्य में रहकर निरन्तर प्रवाहित होता रहा हूं! जिसने मुझे पहचान लिया मेरे से निस्वार्थ हाथ मिला लिया उसकी ताजपोशी ख़ामोशी से कर देता हूं! लोग अटकलें लगाते हैं !आजमाते हैं! मगर मैं समय हूं कौन मुझे रोक सका है! भारत वर्ष का उत्कर्ष भी देख रहा हूं !महाभारत का संघर्ष भी देखा! गुलामी भी देखा! आजादी भी देखी! रियासतों का जलवा भी देखा !मुगलिया सल्तनत की तबाही भी देखी! सब करने वाला मैं ही था! जो नहीं पहचाना उसकी पहचान खत्म हो गई!मुझे पहचान कर जो चला आसमान की बुलंदी पर अपने शोहरत का परचम बुलन्द किया! जिसने अहम पालकर मगरुर रहा उसकी हसरत धरी की धरी रह गई!मैं तो सूरज को हर शाम झुका देता हूं! मेरे सामने हर कोई बौना है! मैं समय हूं। दुनियां के फलक पर बहादुरी का डंका बजाने वाला रुस युक्रेन जैसे छोटे मुल्क से तबाह हो गया! दुनियां का शक्तिशाली देश चीन ताइवान से मात खा गया!अमरीका जैसी महान हस्ती अफगानिस्तान से बैरंग वापस हो गई,!उत्तर कोरिया जैसा मुट्ठी भर का देश दुनियां में महाशक्ति बन गया! कीन्गजोग की ललकार से बिश्व थर्राता है!कल तक सम्प्रभुता सम्पन्न देश का राष्ट्रपति शी जीन्ग की हैसियत मिट्टी पलीत हो गई! बड़े बड़े शहंशाह आह भर रहे है!क्यो की सबका हिसाब मैं ही रखता हूं मैं समय हूं?।आज भारत का शहंशाह एक संन्यासी है! योगी है! क्या आप ने कभी सोचा था!क्या आप ने कभी सोचा था इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाने वालों का इतना बुरा हश्र होगा!?क्या आप ने सोचा था करोना वायरस की चपेट में आकर दुनियां तबाह हो जायेगी! यह तो सब मगरुर मानव को ट्रेलर दिखाया है! सम्हल जाने का रास्ता दिखाया है! मैं समय हूं! हमारी सत्ता में किसी का भी कोई महत्ता नहीं!जो भी समय के बिपरीत चला उसका खेला खत्म!
मैं ही सदा बहार किसलय हूं मैं समय हूं?सावधान किसी का भी अभिमान चूर कर देता हूं! रावण का इतिहास पढ़ा शहंशाहों का उत्थान पतन पढ़ा!सुबह सूरज उपर चढ़ा शाम को गिरा देता हूं! मैं ही समय हूं। मुझे पहचानो मुझे जानो!वर्ना —–??——-??
सबका मालिक एक 🕉️ साईनाथ
जगदीश सिंह सम्पादक
7860503468