
भोजन के प्रकार।
भीष्म पितामह ने अर्जुन को 4 प्रकार से भोजन न करने के लिए बताया था।
पहला भोजन।
जिस भोजन की थाली को कोई लांघ कर गया हो वह भोजन की थाली नाले में पड़े कीचड़ के समान होती है।
दूसरा भोजन।
जिस भोजन की थाली में ठोकर लग गई,पाव लग गया वह भोजन की थाली भिष्टा के समान होती है।
तीसरे प्रकार का भोजन।
जिस भोजन की थाली में बाल पड़ा हो वह दरिद्रता के समान होती है।
चौथे नंबर का भोजन।
अगर पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन कर रहे हो तो वह मदिरा के समान होता है।
और सुनो अर्जुन अगर पत्नी,पति के भोजन करने के बाद उसी थाली में भोजन करती है या पति का बचा हुआ खाती है तो उसे चारों धाम के पुण्य का फल प्राप्त होता है।
अगर दो भाई एक थाली में भोजन कर रहे हो तो वह अमृतपान कहलाता है।
चारों धाम के प्रसाद के समान वह भोजन हो जाता है।
संस्कार दिये बिना सुविधायें देना, पतन का कारण है।
सुविधाएं अगर आप ने बच्चों को नहीं दी तो हो सकता है वह थोड़ी देर के लिए रोए।
यदि संस्कार नहीं दिए तो वे जीवन भर रोएंगे ..🙏🙏
लेख,, अमूल्य रत्न न्यूज ब्यूरो चीफ कुशीनगर