सम्पादकीय
✍🏼जगदीश सिंह सम्पादक✍🏼
कभी जिन्दगी की हकीकत भी आकर देख मुसाफिर!!
ये वो दौर है जहां जीने के लिए प्यार से पहले रोजगार की जरूरत है??
मुफलिसी तंगहाली बदहाली के चलते आज गरीब का दोनो हाथ खाली है!
न रोजी है न रोजगार है पढ़ लिखकर जवान बेटा भी बेकार है!
और जाति धर्म के नाम पर मोहब्बत का पैगाम दे रही सरकार है।
गजब साहब हालत वहीं हो गई है की हमको तो ऐसे बैद्य की बिधा पर तरस आता है जो भूखे को ताकत की दवा देता है?
अजीब मंजर है साहब तबाही दस्तक दे रही है घर घर ! मौत दरवाजे पर खड़ी भूख से बिल बिलाते,
कराहते ,
असहाय,
लाचार,
बेरोजगार,
बेकार की दयनीय हालत पर झपट्टा मारने को आतुर है?
कहा जा रहा है देश!
कितना घातक होता जा रहा है आज का परिवेश!
न कल कारखाना! स्वक्क्ता अभियान के नाम पर घर घर जरुरी हो गया पा खाना!
खेत खलिहान ‘सीवान बीरान घर में कोई उम्मीद नहीं आयेगा एक भी दाना?
हर तरफ हाहाकार है!
फिर भी मुगालते में सरकार है?।
आज हालत तो देखिए बे सहारा बेरोजगार गरीब लोगों कीअब धीरे धीरे सारी सुबिधा खत्म करती जा रही है सरकार!
इस हिटलर शाही के आलम में सबकी जुबान पर ताला है!
किसकी मजाल जो बताए अपना अधिकार!
उत्तर प्रदेश सरकार ने गरीबों की लडकीयों की शादी के लिए बीस हजार रूपया अनुदान देती थी!
अब वह अनुदान भी बन्द हो गया!
समाज कल्याण विभाग ने इस पोर्टल को हटाने के लिए एनआईसी को पत्र लिखा है!
वहीं अभी हफ्ता भर पहले यू पी के खाद्य आयुक्त ने गरीबों के लिए मिल रहे फ्री राशन को बन्द करने के लिए आदेश जारी कर दिया है।
अब मुख्यमंत्री सामुहिक बिबाह योजना में ब्यक्तिगत शादी अनुदान योजना का पैसा मर्ज कर दिया गया है।
सवाल बवाल बनकर गरीबों के सामने खड़ा है।
आखिर कैसे जीवन बशर करेगा गरीब!
कब तक कोसता रहेगा अपना नसीब!
रोजगार के संसाधन खत्म हो गये! खेती किसानी में अब मजदूरों की जरूरत नहीं ??
!बैज्ञानिकता के वर्चस्व में सर्वस्व स्वाहा हो गया!
सरकारी सुविधा दुबिधा में फंस गई!पुराने कल कारखाने लगभग बन्द हो गए !
नये कल कारखाने लगे नहीं!
शिक्षा दीक्षा परीक्षा सब महंगी हो गई!
इस सबका असर केवल गरीब पर पड़ा है।
जब घर में खाने की ब्यवस्था नहीं तो सियासी आस्था में मन कैसे लगेगा!
कहां जाता है भूखे भजन न होय गोपाला? लेल आपन कण्ठी माला,
आम आदमी के बीच गरीबी रेखा से नीचे जीवन बशर करने वालों की हालत प्रति दिन दीन हीन होती जा रही है।
अर्थ तन्त्र पर भ्रष्टाचार हाबी है प्रजातंत्र के खजाने का अडानी आम्बानी लेकर बैठे चाभी है बस एक सूत्र दहशत पैदा कर वाहवाही ही सरकार की कामयाबी है?
धरातल पर खून का आंसू रोता आम आदमी जीवन के हर लम्हे को बदनामी के आवरण से बचा कर चलने में असफल होने लगा है!
जरा सा मामला कुरेद दो रोने लग रहा है?
इस तरह की सरकार आज तक नही आई!
ऐसी कभी नहीं देखी ग ई रहनुमाई!
अमीर की तकदीर में सितारों की चमक बढ़ती जा रही!
गरीब के जिन्दगी में दर्द का सैलाब हर पल को बे रूआब करता जा रहा है।
फ्री का राशन बन्दहो गया आमदनी का कोई जरिया नहीं!
फिर कहां जायेगा गरीब!
क्या खाएगा गरीब!
साहब क्या आप ने इस पर कभी सोचा है!
रसोई से रसोई गैस बाहर हो गई! लगातार दामों में बढ़ोत्तरी से हताश उदास उपभोक्ता रफ्ता रफ्ता सस्ता सिलेंडर की चाहत को लेकर पश्चाताप कर रहा है।
सियासत के सिपाही मनचाही मुराद पाकर मुस्करा रहे हैं?
राजशाही ब्यवस्था में आस्था के नाम पर दिन रात बढ़ रही है दुर्व्यवस्था!,
भ्रष्टाचार का बोलबाला देश का निकल रहा दिवाला है!
फिर भी भारत महान है कितना बदल गया हिन्दुस्तान है।
खाने को राशन नहीं!
सुबह शाम मन का भाषन!
बेलगाम ब्यवस्था में अपनी बात रखने का परमिशन नहीं!
सरकारी हर काम में रुकने वाला है कमीशन नहीं!
सियासी जमात पर रूपयों की वर्षांत अडानी अम्बानी ने खूब दिया देश को सौगात!
आज गुलामी की हर जगह बू आ रही है इस सरकार के कारनामे पर थू आ रही है?
।मगर जिन्दा रहना है तो जंग जारी रखना होगा!
दिल्ली ,
पंजाब,
बिहार,
बंगाल ,
अब गुजरात मे बदलाव अकस्मात नहीं दर्द से बिल बिलाते लोगों के रुह से निकली बद्दुआ की हवा है।
देखिए वक्त का बादशाह बनता कौन है!
अभी तो बगावत की लहर चलनी शुरु हुई है!
धीरे धीरे हवा का रुख आंधी में बदल रहा है!
सियासी खेमा बेचैन जनता मौन है।
समय का इन्तजार करें?
सब कुछ बदला नजर आयेगा!
जयहिंन्द🙏🙏
जगदीश सिंह सम्पादक
7860503468

