
“आनंद….
दोपहर बाद से ही झमाझम बारिश शुरू हो गई थी
ससुराल में सुधा की ये पहली बारिश थी
रिमझिम बारिश में भीगने का और गर्मागर्म भजिया पकौड़ी खाने का अपना ही आनंद होता है
दोपहर खाने के बाद के बर्तन निपटाकर वह बालकनी में खड़ी होकर बारिश का आनंद ले रही थी कि बाहर से उसके ससुर जी अंदर आते हुए बोले …….
सुधा बिटिया………
आज तो चाय के साथ गर्मागर्म आलू प्याज के पकोड़े भी हो जाए तो मजा आ जाए ये बात सुनकर सुधा भी मुस्कुरा उठी क्योंकि मायके में उसके पापा भी ऐसे ही उसकी मम्मी से गर्मागर्म चाय पकौड़ों की फरमाइश करते थे
जी पापा… …………
जरुर… ………..
कहकर सुधा मुस्कुराते हुए रसोईघर की और मुड गई चाय पकौड़ों की तैयारी करने के लिए आलू प्याज और गोभी रखी हुई थी
सो झटपट उन्हें काटकर रख लिया और बेसन घोलने लगी थी
की तबतक………….
उसकी ननद गौरी अपने कालेज से लौटकर आ गई
अभी कुछ ही पल बीते थे की उसके पतिदेव मोहन भी आफिस से लौट आया था
लगभग सभी इसी वक्त घर लौटते थे मगर आज सभी भींगे हुए थे
जबतक मोहन और गौरी अपने अपने रुम से कपड़े बदलकर बाहर बालकनी में आते तबतक सुधा ने गर्मागर्म चाय और पकोड़े तलकर टेबल पर सजा दिए
अरे वाह………..
आज तो पहली बारिश का सचमुच आनंद आ गया…
मोहन चहककर बोला
तो गौरी ने भी प्यारी सी मुस्कान सुधा की और देखकर आंखें मटकाते हुए कहा………….
सच भाभी आपने तो मन की मुराद पूरी कर दी लव यू .
कहते हुए उसने सुधा को चूम लिया सब खुश थे
उसके ससुर जी सासूमां जो कि ज्यादा चल फिर नहीं सकती बिस्तर पर बैठे हुए वह भी पकौड़ों का आनंद ले रही थी थी
मोहन और गौरी दोनों कम्पीटिशिन कर रहे थे कि कौन पहले अपनी प्लेट फिनिश करेगा सबको हंसते हुए और पकोड़े खिलाते हुए सुधा को बहुत खुशी महसूस हो रही थी… …………
मगर अचानक उसे याद आया ………….
कि कैसे वो भी ऐसे ही जब बारिशों में कालेज से आते ही मम्मी से चाय के साथ गर्मागर्म पकोड़े बनवाती थी और बड़े मजे ले लेकर खाती थी …………
लेकिन वो ….
वो मेरा मायका था जहां मैं एक बेटी थी मगर यहां में एक बहु … ………
गर्मागर्म चाय पकौड़े अब ठंडे ही खाने को….. ……
आंखें भीगी हुई थी और मन मायके में………
और हाथ कड़ाही में डाले गए पकौड़ों को अच्छे से तलने का……….
भाभी ओ भाभी…………
कहां खोई खड़ी हो …………..
मैंने आपको वहां बुलाया था सच भाभी आपके हाथ के टेस्टी पकोड़े और अदरक इलायची वाली चाय में तो बस आनंद ही आ गया ………….
चलो अब आप बालकनी में जाकर भैया… …..
मम्मी और पापा के साथ इंज्वॉय करो और मैं आपके लिए चाय के साथ गर्मागर्म पकोड़े लाती हूं ….
जैसे ही गौरी ने ये कहा तो सुधा की आंखें छलछला उठी….
और वह बोली…
नहीं दीदी आप आराम करो मैं बाद में खा लूंगी
ऐसे कैसे बाद में खाओगी….
अरे भाई बारिश सबके लिए आई है और इसमें सबको मजा करना चाहिए इससे पहले ये बारिश बंद हो चलो बाहर जाकर सबके साथ मजे करो अब आपकी ड्युटी यहां खत्म कहते हुए गौरी सुधा को खींचकर बाहर बालकनी में ले आई जहां पहले से मौजूद उसके ससुर सासूमां और मोहन ने मुस्कुरा कर कहा…
आओ बैठो ना और चंद पलों बाद सुधा भी बारिश में गर्मागर्म चाय पकौड़ों का आनंद ले रही थी चंद मिनटों पहले जहां उसके मन में मायका और ससुराल दोनों अलग अलग थे वहीं अब उसे इन दोनों से ऊपर अपना घर अपना परिवार और खुशी आनंद ही नजर आ रहा था और वह भी इस खुशी में खुश थी
एक सुंदर रचना…
#दीप….🙏🏻🙏🏻🙏🏻