
बेटे की शादी कर बहु लाई जा रही है या नचनिया/डांसर ?
हिन्दू परिवार का नैतिक पतन रुकने का नाम नही ले रहा है।
बारात में दुल्हन बिना दुपट्टे/आँचल का,
सुरसा सा मुँह खोले मलाइका सा कमर लचकाती स्टेप देती जो नाचना शुरू कर रही है तब दूल्हा उसके कमर में हाथ डाल नाचने से बाज नही आ रहा है।
बजापते हाथ पकड़ स्टेज पर चढ़ा रहा है।
बराती-सराती मजे ले रहे हैं या कुछ शर्म से मैदान छोड़ दे रहे हैं।
कई वीडियो तो सास का नाचते हुए दामाद का आगवानी करते हुए मिला।सास का स्टेप भी किसी चालू डांसर से कम नही होता।
आधुनिकता के नाम पर क्या हो रहा है?
विवाह जैसे संस्कार की धज्जी उड़ रही है।
चार फेरे,
सप्तपदी,
कन्यादान…
जैसे महत्त्वपूर्ण रस्म को भूल सिर्फ बनाव-सिंगार,
सबके समक्ष नचनिया बन दैहिक प्रदर्शन उद्देश्य रह गया है।
विवाह में सट्टे पर नचनिया आती थी अब वह काम घर की बहू करने लगी है।
इस कर्म-कांड में घर की स्त्री के बराबर का दोषी पुरुष है।
इसका दुष्परिणाम परिवार को असुरक्षित करेगा।
यह नचनिया कर्म पिछले एक-दो साल से शुरू हुआ है
जो इस साल बहुत बढ़ गया है।
अवश्य नचनिया बहु पर ब्रेक लगे।
परिवार सुरक्षित हो।
बच्चे संस्कारी बनें।
प्रतिष्ठित बनें।
जय हिंद 🇮🇳
चित्र…..प्रतिकात्मक