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#कप्तान_साहब_जरा_इसे_भी_देखिए_और_उच्चस्तरीय_जांच_कराकर_निर्दोष_को_बचा_लीजिये
*कल तरयासुजान के खुदरा में पशुओं से लदी दो पिकप पकड़े जाने के मामले में पशुओं को दुधारु बताकर उन्हें छोड़ दिया गया कोई बात नही लेकिन ग्रामीणों की माने तो उस प्रकरण में एक निर्दोष को बलि का बकरा बनाया जाना चर्चा का विषय बना हुआ है।
पुलिस का दलील है कि गाय के साथ बछड़े भी थे इसलिए वह दुधारू थे।जरा इस तस्वीर को देखिए यह तस्वीर भी इसी गाँव से पकड़ी गई चार पिकपो की है जो इसी बर्ष 19 अप्रैल को पकड़ी गई थी।
इस तस्वीर में भी बछड़े दिख रहे है लेकिन एसएचओ और उनकी टीम ने इसे बड़ी रिकवरी बताकर पकड़े गए वाहनों और लोगो को गोवध और पशु क्रूरता में जेल भेजा था और कल के मामले में वही एसएचओ साहब इसे दुधारू बताकर पशुओं से लदी पिकप को छोड़ दिया और अपने कारनामो पर पर्दा डालने के लिए एक निर्दोष युवक श्रीनिवास पांडेय पुत्र सुरेंद्र पांडेय को बलि का बकरा बना दिया।
एक ही तरह में दोहरा मापदंड क्यो अपनाया गया यह तो कप्तान साहब जांच कराएंगे लेकिन अभी तो बाजी तरयासुजान पुलिस के हाथों में है कि जिन्होंने तेज तर्रार कप्तान को आधा अधूरा सच दिखाकर अपना गर्दन बचा लिया है।
इस प्रकरण में ग्रामीणों ने पिकप पकड़ा और पुलिस से इस बात को लेकर बोल चाल भी हुआ कि आप लोग पैसा लेकर तस्करी कराते हो जेल भेजा गया युवक बस इसी अपराध का दोषी है।
ग्रामीणों के अनुसार वह बचपन से ही आसाम के तिनसुकिया में रहकर पंडिताई कर अपने परिवार का जीवकोपार्जन चलाता है और वर्तमान में अपने दादी के मरने पर उनके ब्रह्मभोज में घर आया था।
एक विशुद्ध पंडिताई करने वाले निर्दोष युवक को जेल भेजकर पुलिस के लोगो ने पाप किया है और अगर ईस्वर नामक संस्था इस ब्रह्मांड में है तो इस पाप का दण्ड दोषियों को भुगतना ही पड़ेगा।
कप्तान साहब जिस टड़वा खुदरा मार्ग पर जानवरो से लदी यह पिकप पकड़ी गई है उस रास्ते के बारे में जांच करवा लीजिये कि उस रास्ते से कम से कम 20 से 25 जानवर लदी पिकप फूल स्पीड में गुजरती है कि उसे रोकने का कोई साहस ही नही कर पाता है।
हर रोज अपनी गाय माता को वध हेतु जाता देख लोगो का खून तो बहुत खौलता है और उससे भी ज्यादा कुढ़न इस बात को लेकर होती है कि इसमें पुलिसकर्मी और कुछ सफेदपोश लोग संलिप्त हैं।
अगर कल भी लोग पोल पर बिजली का तार चढ़ाने के लिए इक्कठा नही हुए होते तो यह दोनों पिकप नही पकड़े जाते और न ही यह घटना हुई होती। पिकप पकड़ने की यह पहली घटना नही है
इससे पहले भी इस गाँव मे इस रास्ते पर दर्जन भर से ऊपर पिकप लगभग एक साल के अंदर पकड़े जा चुके है। इस प्रकरण में रंगबाजी कर शार्ट कट तरीके से पैसा कमाने वाले कुछ लोगो ने फोन कर पिकप मालिक से पैसा का डिमांड किया है
वह अपराध की श्रेणी में है और इसमें ऐसे लोगो पर कठोर कार्रवाई किया जाना चाहिए लेकिन उनको पकड़ने के बजाय गोवध का ऊची आवाज में प्रतिकार करने वाले एक निर्दोष युवक को जेल भेजा जाना निंदनीय है।
जहां तक बात सूचिता और पारदर्शिता की है तो इस मामले में अगर कप्तान साहब अपने स्तर से जांच करा लें तो दूध का दूध पानी का पानी सबके सामने होगा। इसी बहादुरपुर और तमकुहीराज चौकी और तरयासुजान थाने पर पूर्व में तैनात पुलिसकर्मियों को पशु तस्करों के साथ संलिप्तता के क्रम में पूर्व के अधिकारियों द्वारा दण्डित भी किया जा चुका है
आज के तारीख में हाइवे के किनारे स्थित चौकी और थानों पर दो दर्जन से ऊपर पुलिस कर्मी तैनात है जो तस्करों के साथ लाइजनिंग कर पशुओं से लदी गाडियो को पार कराते है और खुद मालामाल होने के साथ साथ अपने थानाध्यक्ष लोगो को भी मालामाल कराते है।
इस प्रकरण की जांच होगी या नही यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन इतना तो तय है कि अब पाप का घड़ा भर चुका है लेकिन कब फूटेगा यह देखना है ?
ब्यूरो रिपोर्ट अमूल्य रत्न न्यूज कुशीनगर