
वजुखाने में विशाल शिवलिंग कैसे मिला ? पूरी कहानी… चश्मदीद की जुबानी
-ज्ञानवापी के सर्वे टीम के सदस्य आर पी सिंह से इंडिया टीवी ने 16 मई को बात की । आर पी सिंह उस वक्त सर्वे टीम के ही साथ थे जब ज्ञानवापी के वजुखाने के अंदर शिवलिंग मिला ।
-आर पी सिंह ने बताया कि कोर्ट की तरफ से नए कमिश्नर नियुक्त किए गए विशाल सिंह ने सर्वे के दूसरे दिन परिसर में ये कहा कि अब ज़रा वजूखाने को भी एक बार देख लिया जाए । दरअसल ये वजूखाना एक तालाब जैसा लग रहा था जिसके तीन तरफ 10-10 नल लगे हुए थे, चौथी तरफ एक नाली बनी हुई थी जहां से पानी बाहर निकलता था । इस तालाब नुमा वजूखाने के बीच में एक और गोल घेरे की दीवार थी ।
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-इसी गोल घेरे की दीवार के पास आकर दूसरे दिन का सर्वे रुक गया था क्योंकि उस वजुखाने के तालाब में पानी भरा हुआ था । तीसरे दिन तालाब से पानी बाहर निकलवाया । जब पानी बाहर निकला तो कुएं नुमा दीवार का गोल घेरा मिल गया । ये एक गहरी जगह थी इसलिए एलुमिनियम की एक सीढ़ी मंगवाई गई और इस सीढ़ी पर एक व्यक्ति को चढ़ाया गया ।
-पहले उस व्यक्ति ने तालाब के अंदर गोल घेरे की दीवार साइड के बाहर मौजूद कीचड़ में बांस डालना शुरू किया । बांस कीचड़ में धंस जा रहा था । इसके बाद सीढ़ी लगाकर उस वजूखाने के बीच में मौजूद जमीन को बांस से चेक करने की कोशिश हुई ।
-एक जगह ऐसी मिली जहां पर बांस अंदर नहीं जा रहा था । ऐसी आवाज आई… जिसमें बांस के टकराने से खटखट की आवाज आ रही थी । ऊपर थोड़ा सी सफाई करते ही शिवलिंग नजर आ गया ।
-आज तक न्यूज चैनल पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने भी कहा कि तालाब के अंदर छोटे कुएं नुमा स्ट्रक्चर था और उसके अंदर शिवलिंग मिला है ।
-निश्चित रूप से ये शिवलिंग 500 साल से भी ज्यादा प्राचीन हो सकता है क्योंकि ऐतिहासिक विवरणों के मुताबिक काशी विश्वनाथ का मंदिर तीन बार तोड़ा गया । लेकिन शिवलिंग तोड़ा गया या फिर नहीं इस बारे में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता है । कई तरह की बातें कही जाती हैं । एक बात तो ये भी कही जाती है कि एक ब्राह्मण शिवलिंग को लेकर कुएं में कूद गया था । नाना प्रकार की कथाएं प्रचलित हैं ये भी हो सकता है कि कुएं से शिवलिंग को निकालकर वजूखाने में स्थापित कर दिया गया हो ताकी हिंदुओं को अपमानित किया जाता रहे ।
-ये जानकर अत्यंत पीड़ा हुई है कि हमारे अराध्य महादेव के पार्थिव शिवलिंग पर सदियों तक वजु किया जाता रहा । कुल्ला किया जाता रहा । हाथ पैर धोया जाता रहा । मुस्लिम समाज के बड़े बड़े आलिम उलमाओं को इस पर क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए ताकी हिंदुओं के मन को कुछ शांति मिल सके ।
– एक और सवाल ये भी है कि इतने दिनों तक एक मंदिर पर कब्जा करके नमाज पढ़ी जाती रही सवाल ये है कि क्या किसी मुसलमान के मन में पीड़ा नहीं उठी कि वो इस देश की सनातन संस्कृति का अपमान करते रहे हैं ? इस वक्त भी देश में हजारों ऐसे मंदिर हैं जिनको तोड़कर मस्जिद बनाई गई और इस बात के ऐतिहासिक प्रमाण यानी बादशाही फरमान भी उपलब्ध हैं । जबरदस्ती कब्जाए गए मंदिरों में नमाज पढी जा रही है और नमाज पढ़ने के बाद बाहर निकलकर गंगा जमुनी तहजीब के झूठे दावे भी किए जाते हैं ।
धन्यवाद
भारत माता की जय
हर हर महादेव