
*पुत्र की दीर्घायु हेतु आज महिलाएं रहेंगी तीन छठ व्रत
*तीन छठ व्रत में हल से जुती हुई अनाज और सब्जियों का प्रयोग निषेध है-पं बृजेश पांडेय*
*गोरखपुर*/विद्वत् जनकल्याण समिति के महामंत्री व युवा जनकल्याण समिति के संस्थापक संरक्षक पं बृजेश पांडेय ज्योतिषाचार्य ने बताया कि तीन छठ व्रत आज 28 अगस्त दिन शनिवार को किया जाएगा,इस तिथि को शनिवार दिन भरणी नक्षत्र वृद्धि योग गर करण का संयोग सुखद है.
हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को बलराम जयंती मनाई जाती है. देश के विभिन्न भागों में इसे हल षष्ठी या बलराम जयंती को अलग-अलग नामों से मनाते हैं. इसे हल छठ, तीन छठ या खमर छठ भी कहते हैं.
हलषष्ठी व्रत के लिए शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 27 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार को शाम 6.50 बजे लगेगी. यह तिथि अगले दिन यानी आज 28 अगस्त को रात्रि 8.55 बजे तक रहेगी. पं. बृजेश पाण्डेय ने हलषष्ठी व्रत पूजन विधि को बताते हुए कहे कि माताएं हलषष्ठी का व्रत संतान की लंबी आयु की प्राप्ति के लिए रखती हैं,इस दिन व्रत के दौरान वह कोई अनाज नहीं खाती हैं तथा महुआ की दातुन करती हैं. हलषष्ठी व्रत में हल से जुती हुई अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इस व्रत में वही चीजें खाई जाती हैं जो तालाब में पैदा होती हैं.
जैसे तिन्नी का चावल, केर्मुआ का साग,पसही के चावल खाकर आदि.
इस व्रत में गाय के किसी भी उत्पाद जैसे दूध, दही, गोबर आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. हलषष्ठी व्रत में भैंस का दूध, दही और घी का प्रयोग किया जाता है.
इस व्रत के दिन घर या बाहर कहीं भी दीवाल पर भैंस के गोबर से छठ माता का चित्र बनाते हैं. उसके बाद गणेश और माता गौरा की पूजा करते हैं. महिलाएं घर में ही तालाब बनाकर, उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगाती हैं और वहां पर बैठकर पूजा अर्चना करती हैं और हल षष्ठी की कथा सुनती हैं,उसके बाद प्रणाम करके पूजा समाप्त करती हैं.
हल षष्ठी व्रत महिलायें अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए रखती हैं.धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान हलधर उनके पुत्रों को लंबी आयु प्रदान करते हैं।
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