
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म दोपहर के 12:00 बजे है। मुंबई जाने वाली गोदावरी यमुना एक्सप्रेस चलने के लिए तैयार खड़ी है। तभी 28 साल का एक नौजवान 3 टायर एसी डिब्बे में चढ़ता है।
मैडम यह 9 नंबर विंडो वाली सीट मेरी है प्लीज आप थोड़ा इधर हट जाए।
देखिए यह 10 नंबर मिडिल बर्थ मेरी है। यदि आप बुरा ना माने तो मैं थोड़ी देर के लिए विंडो वाली सीट पर बैठ जाऊं। ठीक है आप बैठ जाएं पर जब मैं कहूं तब आप सीट चेंज कर लेना। चौबीस 25 साल की खूबसूरत सी लड़की जिसने जींस और टी-शर्ट पहनी हुई है, ने हां में सिर हिलाया और बाहर विंडो की तरफ देखने लगी और ट्रेन चल दी।
ट्रेन अपनी स्पीड पकड़ चुकी थी। दोनों पास पास चुपचाप बैठे हैं। लगभग 20 घंटे का सफर है, मतलब की सफर लंबा है। थोड़ी देर बाद लड़की ने अपने बैग में से चिप्स का पैकेट निकाला। और चिप्स खाने लगी। फिर उसने चिप्स का पैकेट बराबर बैठे हुए लड़के की तरफ कर दिया। नहीं नहीं थैंक्स।। अरे ले लीजिए, अभी आपके सामने ही तो खोला है। इसमें कुछ भी नशे वाला नहीं मिलाया हुआ। क्या आपको मैं ऐसी लड़की लगती हूं कि आप को बेहोश करके आप को लूट कर अगले स्टेशन पर उतर जाऊंगी? यह कहकर लड़की जोर से हंसने लगी। लड़के ने भी एक चिप्स उठाया और हंसने लगा। अरे मेरा यह मतलब नहीं था। दोनों की नेचर हंसमुख और बातूनी थी। बस स्टार्ट अप चाहिए था और वह चिप्स के पैकेट ने करवा दिया। फिर दोनों में खूब बातें होने लगी। बातों बातों में दोनों को एक दूसरे का नाम भी पता चल गया, मोहनी और मनीष।। फिर दोनों खाना पीना भी मिल बांट कर खाने लगे।।।
थोड़ी देर बाद मोहिनी ने अपना लैपटॉप निकाला। अरे मनीष टाइमपास के लिए पिक्चर देखोगे? अरे आप कह रही हैं तो जरूर देखें। पर कोई कॉमेडी पिक्चर दिखाना। ठीक है मेरे पास संजीव कुमार की पुरानी फिल्म अंगूर है। हंस-हंसकर पेट फूल जाएगा। मोहनी ने अपना लैपटॉप ऑन करा, मोहनी ने लैपटॉप के कवर पेज पर एक गाना लगा रखा था। मनीष उसे पढ़ने लगा।
इक प्यार का नगमा है
मौजों की रवानी है
जिंदगी और कुछ भी नहीं
मेरी मेरी कहानी हैं
जीवन को खोना है
मौत को पाना है
आना, बहुत जल्दी जाना है
दो पल के जीवन से
इक उम्र चुरानी है
जिंदगी और कुछ भी नहीं
मेरी मेरी कहानी है
मौत को आना है
मुझे लेकर जाना है
जीवन है मेरा कुछ पल का
आ कर चले जाना है
परछाइयां रह जाती है
रह जाती निशानी है
जिंदगी और कुछ भी नहीं
मेरी मेरी कहानी हैं
अरे मोहनी यह क्या है? तुमने तो पूरे गाने के बोल ही बदल दिए। इतना खूबसूरत गाना तुमने दुख भरा गाना बना दिया। अरे मनीष कुछ नहीं, मुझे गाने तोड़ने फोड़ने की आदत है। इसको भी तोड़फोड़ कर लिख दिया और अपने कवर पेज पर लगा लिया। लो अंगूर फिल्म स्टार्ट हो गई। मजे ले ले कर देखो। खूब मजा आएगा। मोहनी हेडफोन का एक स्पीकर अपने कान में और एक स्पीकर मनीष के कान में लगा देती है। फिल्म अपनी गति से और गाड़ी अपनी गति से चल रही है।
डिनर डिनर किसी को डिनर बुक कराना है, बता दीजिए। मेरा एक डिनर वेज बुक कर लीजिए। डिनर की आवाज सुनकर मोहनी की आंख खुल जाती है। अरे मैं आपके कंधे पर कब सर रखकर सो गई पता ही नहीं चला और आपने मुझे उठाया नहीं। आपको खूब दिक्कत हुई होगी। कैसी दिक्कत मैंने अंगूर पिक्चर देखी नहीं हुई है। मुझे तो पिक्चर देखने में मजा आ रहा था। ऐ डिनर वाले भैया, इनका डिनर कैंसिल कर दो। क्या कर रही हो मोहनी रात भर मुझे भूखा रखोगी। अरे नहीं मेरे पास खूब खाना है, मैं पैक करके लाई हूं।
मोहनी दिल्ली में क्या करती हो और आपके घर में कौन-कौन हैं? एक कंपनी में एचआर मैनेजर हूं। घर पर मम्मी पापा है।। पापा का चावड़ी बाजार में शादी कार्ड का व्यापार है। अकेली औलाद हूं मां बाप की। खूब मस्ती में रखते हैं मुझे मम्मी पापा। तुम भी तो अपना कुछ बताओ मनीष।। मैं तो बिल्कुल ही अकेला रहता हूं दिल्ली में। क्यों अकेले क्यों? केदारनाथ हादसे में मेरा बड़ा भाई और मम्मी पापा, तीनों बाबा के पास चले गए, तब से अकेला ही हूं। कंपनी की मीटिंग में मुंबई जा रहा हूं। इतनी देर में मोहनी खाने का सामान खोल लेती है। दोनों आराम से खाना खाते हैं। 10 बज चुके हैं सोने का टाइम है। मोहनी तुम अपनी बर्थ सोऊगी या नीचे वाली? मनीष यदि तुम्हें दिक्कत ना हो तो मैं नीचे सो जाऊं। दोनों एक दूसरे को गुड नाइट कहते हैं और आराम से सो जाते हैं।
सुबह के 6 बजे है और चाय चाय की आवाजें शुरू हो गई है। मनीष दो चाय ले लेता है। उठो मोहनी सुबह हो गई है, चाय पी लो। दोनों चाय पीते हैं और बातों का सिलसिला शुरू हो जाता है। ठीक 10:00 बजे मुंबई आ जाता है।
दोनों प्लेटफार्म पर उतरते हैं। मोहनी मुझे तो सन एंड सैंड होटल में जाना है। तुम्हें कहां जाना है? मोहनी के मुंह से निकल जाता है टाटा कैंसर हॉस्पिटल।। टाटा कैंसर हॉस्पिटल, क्या कोई रिश्तेदार एडमिट है उसे देखने जाना है? मोहनी चुप हो जाती है। मनीष ने पहली बार उसे उदास देखा है। मनीष मोहनी को पकड़कर पास वाली बेंच पर बिठा देता है। मोहनी चुप क्यों हो बताओ ना? मोहनी का चेहरा जड़ सा हो जाता है। मोहनी तुम्हें रास्ते में बिताए हुए समय की कसम सच सच बताओ। मनीष मुझे कैंसर है, मैं अपने को दिखाने आई हूं। अब मनीष की हवाइयां उड़ रही है। और उसे लैपटॉप पर लिखे हुए गाने का मतलब भी समझ आने लगा है, मेरी मेरी कहानी है।
मोहनी तुम अकेले दिल्ली से मुंबई दिखाने आई हो। मोहनी अब नॉर्मल हो चुकी थी। हां, इसमें क्या दिक्कत है? दिल्ली से इलाज चल ही रहा है। पर किसी ने बताया टाटा कैंसर वाले सही राय देते हैं। मौत का समय भी बता देते हैं। इसलिए समय पूछने ही आई हूं। पापा आने की जिद कर रहे थे। मैंने उन्हें समझाया, 2:00 का मेरा अपॉइंटमेंट है। और रात को 7:00 बजे की फ्लाइट! 9:00 बजे मैं दिल्ली पहुंच जाऊंगी। आप परेशान ना हो।
मनीष रास्ते में मोहनी के बारे में कुछ सपने देख चुका था। अब मनीष सोच रहा था, हकीकत पता चलने के बाद, क्या मैं अपने सपनों से भाग जाऊं? मनीष के दिमाग में कभी हां कभी ना की आवाज आ रही थी। पर मनीष के दिल ने कहा, अपने और मोहनी के सपने पूरे करो। हिम्मत करके मनीष ने मोहनी से कहा, मैडम गाने के दो पैरे आपने लिखे हैं, तीसरा पैरा मैं आपको सुनाना चाहता हूं और आप सुने….
तू धार है नदिया की
मैं तेरा किनारा हूं
तू मेरा सहारा है
मैं तेरा सहारा हूं
आंखों में समंदर है
आशाओं का पानी है
जिंदगी और कुछ भी नहीं
तेरी मेरी कहानी है
इक प्यार का नगमा है
मनीष इसका क्या मतलब? मोहनी इसका मतलब मैं तुम्हें दिल्ली पहुंच कर बताऊंगा। तुम डॉक्टर को दिखाकर दिल्ली पहुंचो। मैं 3 दिन बाद आता हूं तब तक फोन पर बात होती रहेगी। अपना नंबर दो मैं तुम्हें मिस कॉल मारता हूं।
मनीष अगले दिन मोहनी को फोन करके कहता है। दिल्ली आकर मैं तुम्हारे घर पर रहूंगा घर जमाई बनकर। अरे मनीष मैं तो केवल 6 महीने की मेहमान हूं। कोई बात नहीं पगली। मां-बाप तो दोबारा मिलेंगे मुझे। फिर दूसरी शादी कर लूंगा। तुम्हारे मम्मी पापा के लिए बहू ला दूंगा। दूसरी मोहनी ला दूंगा। दोनों जोर जोर से हंसने लगे। मोहनी ने पहली बार ठीक से गाना गाया।
इक प्यार का नगमा है
मौजों की रवानी है
जिंदगी और कुछ भी नहीं
तेरी मेरी कहानी……. दो लफ्ज