
“पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के RG कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर निर्भया 2 के साथ हुई दरिंदगी भाग – 4”
तमाम कोंस्पिरेसी थ्योरी भी बन रही है इस कांड के बारे में कि क्या संजय रॉय अकेला था जिसने इस हत्याकांड को अंजाम दिया क्योंकि लड़की के प्राइवेट पार्ट्स से मिला सीमेन बहुत ज्यादा है जो इशारा कर रहा है कि इस कांड में अकेले संजय रॉय का हाथ नही हो सकता।जिस तरह से लड़की पर काबू पाया गया है और उसके साथ हिंसा की गई है वो संजय रॉय के दुबले पतले डील डौल को देख कर संभव नही लगता।
इसी से इस बात को बल मिल रहा है कि शायद कुछ रसूखदार लोगो को बचाने के लिए कोलकाता पुलिस द्वारा लीपापोती की गई शुरू में
कोलकाता के जिस RG कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर लेडी डॉक्टर के जघन्य रेप व हत्याकांड पर सियासत गरमाई हुई है पिछले एक हफ्ते से और आम जनता में बहुत ज्यादा आक्रोश है।यह कॉलेज पहले भी विवादों में रहा है, यहाँ पहले भी कई कांड हो चुके हैं।
उन्ही में से एक प्रमुख कांड है 23 साल पहले 2001 का जब वही चौथे वर्ष में पढ़ने वाले एक छात्र सौमित्र विश्वास का शव संदिग्ध परिस्थितियो में उसके हॉस्टल के कमरे में पाया गया था
उस समय भी कोलकाता पुलिस ने इस केस को आत्महत्या बताकर लीपापोती करने की कोशिश की थी पर उस छात्र के माता पिता कोर्ट चले गए थे।
पुलिस का कहना था कि सौमित्र प्यार से असफल रहा था इसलिए उसने आत्महत्या कर ली जबकि माता पिता का कहना था कि उनका बेटा कभी ऐसा नही कर सकता क्योंकि जब उससे बात हुई थी हत्या से पहले आखिरी बार तब उसने कहा था कि वह दो दिन बाद ही घर आने वाला है।बाद में इस मामले की जांच CID को सौंपी गई थी व इस मामले में एक लड़की को भी गिरफ्तार किया गया था, जिसका नाम अरोमिता दास था
पुलिस ने सीपीएम की छात्र शाखा एसएफआई के कई सदस्यों से पूछताछ की थी लेकिन कोई सुराग नहीं मिल सका।
CID इस मामले को सॉल्व करने में असफल रही थी और फ़ाइल बन्द कर दी गयी।सौमित्र की माँ ने आरोप लगाया था कि मेडिकल कॉलेज में उनके बेटे के दोस्त उसकी मौत के लिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि उसने कथित तौर पर परिसर में अश्लील गतिविधियों को देखा था।
उल्लेखनीय है कि मेडिकल कॉलेज के कई छात्रों ने सौमित्र बिस्वास की मौत के लिए आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कथित पोर्न रिंग को जिम्मेदार ठहराया था
उनका कहना था कि कॉलेज में सीनियर छात्र और कुछ डॉक्टर्स का गिरोह एक रसूखदार नेता के समर्थन से कॉलेज में वैश्यावृति व अश्लील फ़िल्मो का धंधा कर रहे थे।हफ्ते के अंत मे बाहर से लड़कियां बुलाई जाती और उनके साथ अश्लील फिल्में शूट की जाती।
बाकायदा एक कमरा था जिसमें शूटिंग के साथ उपकरण मौजूद थे।हफ्ते के अंत मे क्योंकि अधिकतर लोग बाहर होते, भीड़ कम होती ऐसे में होस्टल के कमरे में ये सब काम करने आसान होते थे।
दावा तो यहाँ तक है कि जब लड़कियां नही मिलती थी तब मुर्दाघरो से लाश लाकर उसके चेहरे पर कॉलेज की लड़कियों का चेहरा मॉर्फ किया जाता था।
ऐसी ही कुछ घटना सौमित्र विश्वास की महिला मित्र अरोमिता दास के साथ भी की गई थी जिसका विरोध सौमित्र विश्वास ने किया था।
इसका अंजाम उसे मर कर चुकाना पड़ा क्योंकि उसने एक गिरोह का भंडाफोड़ करने की धमकी दी थी।
न्यूज़ रिपोर्ट्स की माने तो जिन परिस्थितियों में उसकी लाश मिली थी वह बेहद संदिग्ध थी पर मामला दबा दिया गया और बात आई और गयी हो गयी।लेडी डॉक्टर के मामले में भी बेहद अधिक मात्रा में सीमेन के मिलने से इन बातों को बल मिल रहा है कि ये अकेले आदमी का काम नही हो सकता।
इसके अलावा आरोपी संजय रॉय के मोबाइल में कई अश्लील हिंसक फ़िल्म का मिलना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि शायद इस केस का कोई कनेक्शन सौमित्र विश्वास जैसे घटना या उसमें इन्वॉल्व किसी गिरोह के जैसे गिरोह से हो सकता है।
क्या विक्टिम कोई ऐसा राज जान गई थी जिससे कोई सफेदपोश बेनकाब हो सकता था ?
या विक्टिम ने ऐसा कुछ देख या सुन लिया था जिसका वो भांडाफोड़ करने वाली थी ?
इस 100 साल से भी ज्यादा पुराने कॉलेज के सीने में कई राज दफन है।जिस तरह से CBI को जांच सौंपे जाने के ठीक बाद एक मॉब अस्पताल में घुस कर सबूतों को नष्ट करने की कोशिश करती है उससे मामला जितना सीधा दिख रहा है उतना मालूम होता नही है।
कायदे से यदि जांच हो जाये तो बड़े बड़े सफेदपोश बेनकाब हो जाएंगे।पता नही ऐसा क्यों लग रहा है कि सौमित्र विश्वास के 2001 के केस का कोई कनेक्शन भी कही न कही इस केस से जुड़ा हुआ हो सकता है।
CBI को उस मामले की भी तह तक जाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए, ताकि सौमित्र और लेडी डॉक्टर को इंसाफ मिल सके।।
दिनेश सिंह