
बिहार में बीजेपी ने संगठनात्मक बदलाव करते हुए दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।
दिलीप जायसवाल अभी नीतीश सरकार में भूमि सुधार और राजस्व विभाग के मंत्री हैं।
#DilipJaiswalBJP तीन बार के एमएलसी हैं।
MLC मतलब विधान परिषद के सदस्य।
बिहार में नीतीश कुमार, सम्राट चौधरी, राबड़ी देवी जैसी नेता विधान परिषद से ही चुन कर आए हैं।
हालांकि दिलीप जायसवाल थोड़ा अलग वाला चुनाव जीतकर mlc बने हैं।
दिलीप जायसवाल 2022 में पूर्णिया, किशनगंज, अररिया जिलों को मिलाकर विधान परिषद की स्थानीय प्राधिकार की बनी एक सीट से जीते हैं।
इसमें मुखिया , पंचायत समिति, जिला परिषद सदस्य और वार्ड के चुने हुए प्रतिनिधि वोट करते हैं।
दिलीप सबसे ज्यादा वोट से जीते थे।
इस तरह के चुनाव में धन और बाहुबल का जोर चलता है।
दिलीप दोनों के धनी हैं।
20 साल से ज्यादा समय से प्रदेश बीजेपी कोषाध्यक्ष रहे।
पार्टी ने सिक्किम का प्रभारी भी बनाया था।
अभी जब लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी सत्ता में आई तो दिलीप जायसवाल पहली बार मंत्री बने।
सीमांचल की राजनीति में इनको हिंदुत्व का पोस्टर boy माना जाता है।
2014 में बीजेपी ने किशनगंज जैसी मुस्लिम बहुल लोकसभा सीट से इनको टिकट दिया था।
मुस्लिम बहुल सीट पर पहली बार बीजेपी ने हिंदू को उतारा था।
हालांकि 2 लाख वोट से चुनाव हारे थे।
दिलीप जायसवाल मूल रूप से खगड़िया के हैं।
संघ से जुड़े रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज चलाते हैं।
2009 में पहली बार विधान परिषद सदस्य बने।
बीजेपी और जेडीयू को जब बिहार में 2005 में सत्ता मिली तब बीज निगम के अध्यक्ष रहे।
61 साल के हैं।
अब तक पर्दे के पीछे रहकर संगठन देखते रहे।
राज्यव्यापी छवि या पहचान नहीं है।
जिस वैश्य समाज से आते हैं।
वो बिहार में पिछड़ी जाति है।
दिलीप जायसवाल बीजेपी से ज्यादा नीतीश कुमार की चॉइस लगते हैं।
दिलीप को कभी सुशील मोदी की परछाई माना जाता था।
नई जिम्मेदारी और नई चुनौती है। अगले साल बिहार में चुनाव होने हैं।
सीमांचल के हिन्दू वैसे भी बीजेपी जेडीयू को सपोर्ट करते हैं। सीमांचल से बाहर ये क्या करेंगे ये देखना होगा।
एक व्यक्ति एक पद में मंत्री की कुर्सी छोड़नी होगी।