
महराजगंज,सदर ब्लॉक के ग्राम सभा दरौली में श्रीमद्भागवत पुराण के तीसरे दिन में व्यास पंडित धर्मपाल शास्त्री ने भगवान के स्वरूपों की जानकारी दी।शास्त्री जी ने बताया कि भगवतोऽयं भागवतः कथ्यते’ अर्थात जो भगवान हो गया, उसे भागवत कहते हैं। भागवत को केवल सद्ग्रंथ न मानकर उसे भगवत्स्वरूप ही समझना चाहिए। श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान का ही स्वरूप है। जब भगवान इस धराधाम से जाने लगे, तो उद्धव जी ने कहा- प्रभु मत जाइए, धर्म की गति-मति विकृत हो जाएगी।यह पुराण को सुनकर मनुष्य अपने समस्त पापों से छुटकारा पा सकते हैं।शास्त्री जी ने कथा परीक्षित रामजी गुप्ता जी तथा श्रोताओं को पुराण का स्वरूप बताते हुए कहा कि नारद जी की प्रेरणा से वेद व्यास जी ने श्रीमद् भागवत ग्रन्थ लिखा है। श्रीमद् भागवत में 335 अध्याय हैं। यह व्यास जी द्वारा 18 पुराणों में से रचित बहुत श्रेष्ठ पुराण है। श्रीमद् भागवत कथा में 18 हजार श्लोक, 335 अध्याय व 12 स्कंध हैं।इस पुराण की कथा में व्यास सहायक आदित्य पांडेय,माला जापक श्री विश्वनाथ पांडेय जी मूलभूति ऊर्जा का रोपण किया है।इस पुराण के ज्ञान गंगा में डुबकी लगाकर श्रोता अपने को धन्य हो रहे है।कथा प्राणगढ़ में मोहन गुप्ता,रामप्रीत वर्मा, गंगा निषाद तथा अन्य बहुत श्रोता उपस्थित रहते है।
रिपोर्टर कैलाश सिंह महराजगंज