
#एक_सत्य_घटना
एक विद्यार्थी का दोस्त 3 = 4 महीने पहले मिलने आया।
वो मोहल्ले की ही एक लड़की से मिलकर लव मैरेज करना चाहता था, जिसमें वो मुझसे सहयोग चाहता था।
पता चला लड़की उसकी जाति की ही है।
तो मैंने कहा कि दोनों लोग अपने-अपने घर मे बात करो।
अरेंज मैरेज हो तो ज्यादा अच्छा होगा ।
घर में लड़का और उसकी मां केवल 2 लोग थे ।
बाकी भाई शादी शुदा थे और अलग रहते थे।
मैने कहा कि क्या कमाते हो कैसे शादी के बाद खर्चा चलाओगे सब बता देना ।
ये भी बता देना कि मां की देखभाल भी करनी होगी ।
लड़की वाले बड़े खुश हुए, बिना दहेज के या खर्च के पढ़ा लिखा कमाऊ लड़का मिल रहा था, उन्होंने हर बात में हां कर ी होने वाली बीबी भी बोली तुम्हारी मां को अपनी मां से ज्यादा प्यार और सम्मान दूंगी।
खैर फरबरी 23 में शादी हो गई और महीने भर के अंदर बहू और उसके घर वाले कहने लगे तुम्हारे सारे भाई अलग रहते हैं तुम भी अलग रहो। खैर मार्च आई । बहुरिया मायके चली गई की घर में या तो तेरी मां रहेगी या मैं। गृह कलह से दुखी बेटा कहता की वो आत्महत्या कर लेगा । तो मां कहती कि पहले मुझे मार दे फिर जो चाहे करना । उधर 2 महीने पहले तक जान छिड़कने वाली पत्नी अब दहेज उत्पीड़न में जेल भेजने की धमकी देने लगी।
फिर एक दिन घर के दरवाजे खुलने बंद हो गए… फोन उठने बंद हो गए……
बाकी घरवालो को खबर हुई
दरवाजा तोड़ा गया तो मां बेटा के शव मिले बेटे ने मां की इच्छा पूरी कर दी
पहले बेटे ने मां को मारा फिर खुद फांसी लगा ली। इस प्रकार ये बिना दहेज का विवाह ढाई महीने चल सका। पोस्टमार्टम में निकला की दोनों लोग 2 दिन से खाली पेट थे। जो बहू सास को फूटी आंख नहीं देखना चाहती थी वो सास के शव से लिपट कर दहाड़े मार रही थी…… और
पति का नाम लेकर उससे लौट आने की गुहार कर रही थी…… पर अब इस सब का कोई अर्थ नहीं रह गया था……
ऐसी 3 घटनाएं पिछले कुछ महीने में कानपुर में हो चुकी है।
बहु मायके में मरे तो ससुराल वाले दोषी ससुराल में मरे तो भी ससुराल वाले दोषी।