बहरापन :
बादाम के तेल के साथ जबाद कस्तूरी को पीसकर कान में डालने से धीरे-धीरे बहरापन दूर हो जाता है और सुनने की शक्ति भी बढ़ती है। कड़वे बादाम के तेल को गुनगुना करके रोजाना सुबह और शाम कान में बूंद-बूंद करके डालने से बहरेपन के रोग में लाभ होता है। 100 मिलीलीटर बादाम के तेल में लहसुन की 10 कलियों को डालकर पका लें। जब पकने पर लहसुन की कलियां जल जायें तो इस तेल को छानकर कान में बूंद-बूंद करके डालने से बहरापन दूर होने लगता है।
बहरापन:-
शहद और दालचीनी पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह और रात को लेने से सुनने की शक्ति दुबारा आ जाती है अर्थात बहरापन दूर होता है।
कान से कम सुनाई देने के रोग (बहरापन) में कान में दालचीनी का तेल डालने से आराम आता है।
कान की सुनने की शक्ति कमजोर हो गई हो, तो मूली के रस में नींबू का रस मिला लें और उसे गुनगुना करके कान में डालें और उल्टा लेट जाएं, ताकि कान की सिंकाई के बाद रस बाहर निकल जाए। इससे कान का मैल बाहर आ जाएगा और साफ सुनाई देने लगेगा।
कान में दर्द हो तो मूली के पत्ते सरसों के तेल में उबाल लें।
इस रस की 2-2 बूंदे कान में टपकाने से दर्द अवश्य शांत होगा।
सुनने की क्षमता
– सुनने की क्षमता बढाने के लिए सरसों के तेल में लहसुन डालकर पकालें| छान लें, शीशी में भर लें| बहरापन दूर करने के लिए यह तेल २-३ बूँद कान में डालकर रूई लगालें| ४५ दिन में फ़ायदा दिखेगा| कान का दर्द भी इस दवा से मिट जाता है|
बहरापन :
बेल के कोमल पत्तों को अच्छी गाय के पेशाब में पीसकर तथा 4 गुना तिल का तेल तथा 16 गुना बकरी का दूध मिलाकर धीमी आग द्वारा तेल को गर्म करके रख लें। इस तेल को रोजाना कानों में डालने से बहरापन, सनसनाहट (कान की आवाज), कानों की खुश्की और कानों की खुजली के रोगों में आराम मिलता है।
बेल के पत्तों का तेल, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, कूट, पीपलामूल, बेल की जड़ का रस और गाय का पेशाब को बराबर मात्रा में लेकर हल्की आग पर पकाने के लिये रख दें। फिर इसे छानकर किसी शीशी में भर लें। इस तेल को `बधिरता हर तेल´ कहते है।
इस तेल को कान में डालने से कान के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
बेल के पत्तों को गाय के पेशाब के साथ पीसकर बकरी के दूध मिले हुए तेल में पकाकर बने तेल को कान में बूंद-बूंद करके डालने से बहरेपन के रोग में लाभ होता है।
बेल के पके हुए बीजों का तेल निकालकर बूंद-बूंद करके कान में डालने से बहरापन समाप्त हो जाता है।
बहरापन में अपामार्ग के फायदे :-
अपामार्ग की साफ धोई हुई जड़ का रस निकालकर उसमें बराबर मात्रा में तिल को मिलाकर आग में पकायें। जब तेल मात्र शेष रह जाये तब छानकर शीशी में रख लें। इस तेल की 2-3 बूंद गर्म करके हर रोज कान में डालने से कान का बहरापन दूर होता है।
बहरेपन की समस्या में 20 ग्राम बेल का गुदा , 50 ग्राम बकरी का दूध और 10 ग्राम गोमूत्र – इन तीनो को सरसों के तेल में पका कर | इसे कान में डाले बहरापन दूर हो जायेगा
बहरापन (कान से कम सुनाई) देने पर उपचार करने के लिए 25 मिलीलीटर काले तिल के तेल में लगभग 40 ग्राम लहसुन को पीसकर जलाकर तेल बना लें इसके बाद इस तेल को छानकर रोजाना 2-3 बार कान में डालने से अधिक आराम मिलता है।
40 मिलीलीटर हुलहुल के रस को 10 मिलीलीटर तिल के तेल में मिलाकर पकाएं। पकने के बाद जब बस तेल ही बाकी रह जायें तो इसे आग पर से उतार कर छान लें। इस तेल को कान में डालने से कान मे से मवाद बहना बंद हो जाता है।
कान के कीड़े को मारने के लिए तिल के तेल की 2 से 3 बूंदे कान में डालें।
इससे लाभ मिलेगा।
तिल का तेल, धतूरे का रस, सेंधानमक, मदार के पत्ते और अफीम को कड़ाही में डालकर पका लें। जब पकने के बाद सब कुछ जल जाये तो उसे उतारकर और छानकर एक शीशी में भर लें। नीम के पत्तों और फिटकरी को पानी में डालकर पकाकर कान को इस पानी से पहले साफ कर लें। फिर बनाये हुये तेल की 5-6 बूंदे रोजाना कान में डालने से कान से मवाद बहना, कान का दर्द और बहरापन दूर हो जाता है।
125 मिलीलीटर तिल के तेल को 50 मिलीलीटर मूली के रस में मिलाकर पका लें। जब पकने के बाद तेल ही बच जाये तो उसे छानकर शीशी में भर लें। इसकी 2-3 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
अजाझाड़ा के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल, फूल) की राख को तिल के तेल में डालकर पका लें। इस तेल को कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
बहरेपन का रोग
1. 3 करेले को पीसकर 200 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं। जब पककर करेला जल जाए तो इसे कपड़े में रखकर निचोड़कर तेल निकाल लें। यह तेल बूंद-बूंद करके कान में डालने से बहरापन दूर होता है।
2. काला जीरा और करेले के बीज को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीस लें। इस पानी को कान में डालने से बहरेपन का रोग दूर होता है।
बहरापन : राई के तेल को गर्म करके इसकी 2-2 बूंदे कान में डालने से कितना भी पुराना बहरेपन का रोग हो दूर हो जाता है।
कान में दर्द:
कान में दर्द, कान में पीव और कान में आवाज आना और बहरापन होने पर प्याज के रस को थोड़ा-सा गर्म करके उसकी 5-7 बूंदे कान में डालने से लाभ मिलता है।
प्याज या लहसुन के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान के दर्द में लाभ होता है।
1 प्याज को गर्म राख में रखकर भून लें और इसे पीस लें। फिर इसका रस निकालकर गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
गधे की लीद (टट्टी) का रस, गुलाबजल, सिरका और प्याज के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
प्याज के बीच के हिस्से को निकालकर गर्म कर लें। फिर इस गर्म भाग को कान में रखने से कान का दर्द चला जाता है।
प्याज के रस को गर्म करके उसकी 2-4 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है।
बहरापन (कम सुनाई देना) : तुलसी के पत्तों का रस गर्म करके प्रतिदिन कान में डालने से बहरापन दूर होता है।
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