
👉 अमूल्यरत्न न्यूज संवाददाता
👉 आर्य समाज व आर्य भवन पर ऋषि बोधोत्सव दिवस मनाया
आर्य समाज व आर्य भवन पर यज्ञ का आयोजन कर सौल्लासपूर्वक फाल्गुन कृष्णा त्रयोदशी महाशिवरात्रि को ऋषि बोधोत्सव दिवस के रूप में मनाया गया।
आर्य राष्ट्र चिंतक डॉ.वीरसिंह भावुक ने ऋषि बोधोत्सव दिवस के विषय में प्रकाश डालते हुए कहा कि शिव पिंडी पर चूहों की उछल कूद की घटना ने बालक मूलशंकर को महर्षि दयानंद बना दिया जिन्होंने सच्चे शिव की खोज ही अपने जीवन का उद्देश्य बनाया और ईश्वर द्वारा प्रदत्त वेद ज्ञान की गंगा प्रवाहित कर वेद वर्णित सच्चे शिव का विराट स्वरूप प्रस्तुत किया।
इस घटना से विस्मित होकर ऋषि दयानंद को अपने अंतः करण में विराजमान परंतु कुछ ओझल ईश्वर प्राप्ति की प्रबल अभिलाषा का बोध हुआ था।
उन्होंने कहा कि अंतर्ध्यान होते ही विस्मरण का आवरण उनसे हट गया और ईश्वर प्राप्ति का लक्ष्य अब ईश्वर कृपा से उनके सम्मुख था।
यह शिवरात्रि का मिथ्या अनुष्ठान ईश्वर प्राप्ति के कार्य में व्यर्थ है इसका भी उन्हें बोध हो गया था।
अनेक श्रद्धालुजन शामिल रहे।