
भारतीय खानपान ,
उन्हें बनाने और खाने के तरीके हमारे हिसाब से तो सर्वश्रेष्ठ हैं !
दुनिया में पहले जो हमारे खानपान , रहन सहन , जीवन शैली आदि की आलोचना करते थे , अब भारतीय भोजन के दीवाने हैं !
भोजन ही क्या , जीवन शैली भी अब जग वालों को प्रभावित करती है !
भारतीय आहार विहार अब उतना ही आकर्षित करने लगा है , जितना अध्यात्म , दर्शन और योग पश्चिमी जगत को शताब्दियों से प्रभावित कर रहा है !
हमारे खानपान को बिगाड़ने का ठेका बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने पिछली शताब्दी के छठें दशक में लेना शुरू किया था । तब छोटे सड़कों पर लोगों को रोककर डालडा , कोटोजम आदि घी का हलवा खिलाया जाता और शुद्ध देसी घी खाने से मना किया जाता । ऐसे ही पैरों में बांस बांधकर सिगरेट के प्रचार होते और लोगों को हुक्के के बजाय सिगरेट पीने की सलाह दी जाती । दूध पीना छोड़कर लिपटन की चाय पीना भी प्रचार के माध्यम से सिखाया गया । ऐसे ही गुड , देसी खांड और बूरे के बजाय चीनी खाने की आदत सुनियोजित ढंग से डाली गई । और भी ना जानें क्या क्या ? भारत वासियों को सुनियोजित ढंग से रिफाइंड ऑयल खिलाया गया ।
जो गलतियां हुई , वे अब एक एक कर ठीक की जा रही हैं । फास्ट फूड , गरिष्ठ भोजन , मांसाहार , आदि के माध्यम से भारतीय खानपान को घटिया साबित करने का प्रचार हुआ । कहां तक गिनाएं , हमारा सब कुछ घटिया और बाहरी ब्रांड्स से आया सब कुछ बढ़िया । क्या कपड़े , क्या जूते , क्या लिट्रेचर , क्या मेडिसिन , क्या खानपान , क्या शीतल पेय , क्या वेहिकल्स , क्या म्यूजिक , क्या रहन सहन का ढंग । देखते ही देखते सब बदल गया । लेकिन अब लगता है कि वक्त बदल रहा है । धीरे धीरे ही सही अपना बहुत कुछ लौटने भी लगा है । क्या क्या , खुद महसूस करें ।
अरे साहब अब तो डाक्टर भी देसी घी तेल खाने की सलाह देने लगे हैं । अरे साहब अपने देश का गली फूड शौंक से खाइए , यह बहुत स्वादिष्ट है । इसमें कोई बुराई नहीं । महंगे ऑलिव ऑयल की जरूरत नहीं , सरसों , तिल और गोले का तेल खाइए । अपने फास्ट फूड टिक्की छोले , चाट पकौड़ी , गोलगप्पे , छोले भटूरे , इडली वड़ा , डोसा पावभाजी , लिट्टी चोखा आदि में जो मजा है वह भला फास्ट फूड में कहां ?
यकीन मानिए आलू , कद्दू , सोंठिया , बूंदी का रायता , कचौरी , देसी घी के लड्डू से बढ़िया कोई खाना आज तक नहीं बना । ब्राउन शुगर ही खानी है तो सीधे गुड शक्कर खाइए । मतलब अपना जो खानपान था , उसे अपनाइए । कोई भी यह सब चटपटा रोज नहीं खाता । रोजाना दाल रोटी चावल सब्जी सबको मुबारक । अच्छा हो अपना अपनाइए , ताकि सदियों से स्वाद के चटखारे बिखेरने वाले देसी फास्ट फूड दुनियाभर को आनंदित करते रहें । यह निरापद है , स्वादिष्ट है , बढ़िया है और सस्ता है । अरे भाई अपना है ।
Kaushal Sikhaula