सम्पादकीय
✍🏼एस एन बरनवाल सम्पादक✍🏼
ना छेड़ किस्सा -ए- उल्फत का बड़ी लम्बी कहानी है?
मैं गैरों से नहीं हारा बस अपनो की मेहरबानी है!
आज देश में उथल पुथल का दौर चल रहा है! किसी के आस्तीन में सांप पल रहा है तो किसी को वर्तमान ब्यवस्था का उफान ही खल रहा है।गजब का मंजर है! मुंह पर मोहब्बत और दिल में खंजर है!पांच सौ साल देश बेहाल मजबूर होकर अपनी स्मिता को बचाने का जद्दो जेहाद करता रहा।अपनी गरीमा को संरक्षित करने का गुहार लगाता रहा।धर्म कर्म पर प्रतिघात पर प्रतिघात हो रहा था मां भारती कराह रही थी आहे भर रही थी! मुगलिया सल्तनत का दो सौ साल तबाही के भंवरजाल में फंसकर बर्वादी सनातन संस्कृति के विलोपन तथा इस्लामीकरण के उत्कर्ष का वर्ष रहा सनातन धरोहरों को मटियामेट कर दिया गया! सब कुछ बदल दिया! मगर ईष्ट इंडिया कम्पनी के कटीले नागफनी का जो साम्राज्य फैला उसमें मुगलिया सल्तनत के आखरी बादशाह बहादुर शाह जफर का सफर खत्म हो गया! बिदेशी कम्पनी अपनी चासनी में देश को डालकर गुलामी का जो इतिहास रचा उसका दर्द आज भी लोग महसूस करते हैं।सन1857मे भारतीय नारी के रुप में दुर्गा भवानी की अवतारी रानी लक्ष्मी बाई की बगावत तथा सेना के बिद्रोही सिपाही मंगल पाण्डेय की चतुराई से फिरंगियों के पैर से जमीन खिसक गई! शुरू हो गई आजादी की जंग ?देश के लाखो नौजवानों की कुर्बानी से जब सैकड़ों साल बाद देश आजाद हुआ।आज 75साल बाद फिर एक बार फिर सम्पुरण भारत वर्ष सहर्ष उत्कर्ष की अमरगाथा को अभिलाषा के साथ आजादी के दीवानों के शौर्य पताका को बुलन्दी देने के लिए मचल उठा।सारा देश तिरंगा की शान में आसमान की ऊंचाई तक राष्टगान को समवेत स्वर में गुंजायमान कर दिया! सारा विश्व भारत का भविष्य देखकर मुस्करा उठा।पहली बार देखने सुनने को मिला कि प्रवासी भारतीय जिस भी देश में है उसी देश में भारत के राष्टीय ध्वज को बेखौफ लहरा दिया! वन्दे मातरम की धुन पर बिदेशी भी थीरकते नजर आए! ए वर्तमान विदेश निति का कमाल है?सौदी जैसा इस्लामिक देश भी भारतीय परचम को आसमानी उड़ान के लिए सहर्ष स्वीकृति देकर सहभागिता निभाया।बिलुप्त हो चुका सनातनी भारत अपने पुरातन वजूद को मौजूद करने के लिए अपने हक हुकूक पर चढ़ी वर्षों पुरानी गर्द को फर्ज के पानी से साफ कर रहा है। विकृत हो चुकी ब्यवस्था मेंआस्था के साथ परिवर्तन का जो कीर्तन शुरू हुआ है उससे देश के साथ गद्दारी करने वालो की दिल की धड़कन बढ़ गई है।उनके सियासती शतरंजी खेल का पासा उल्टा पड़ गया है। कोई गजवाऐ हिन्द का सपना देख रहा था! कोई सत्ता की चाभी को अपना होता देख रहा था! मगर मां भारती के चौकीदार ने दमदार प्रदर्शन कर दुनियां को दिखा दिया की अब गद्दारों का खैर नहीं! जो इस देश के अपने है उनसे कोई बैर नहीं? बिहार से लेकर बंगाल तक सेना गद्दारों को खंगाल रही है।आतंकवाद की जड़ में समाए सियासत के वायरसों का सफाया शुरु हो चुका है।कल तक जेहादी नारा लगाने वालों की गर्दन पर कानून का शिकन्जा इस कदर कस चुका है कि उनके आका भी रहम की भीख मांग रहे हैं। बदलता भारत अपनी स्मिता की रखवाली में हिलाहवाली करने वालों के लिए अभिषप्त बनता जा रहा है। बसुधैव कुटुम्बकम के सूत्र पर पवित्र मन से सनातन सत्य को परिभाषित करने वाला समाज जो खतरनाक सर्प को भी पूजता है!वह सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे भवन्तु निरामया के अवधारणा को धारित कर आज भी भारत वासी भाई भाई को प्रचारित करता है। इस लिए की कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी यूनान मिश्र रोमा सब मिटगए जहां से! सबका साथ सबका विकाश का अचूक मंत्र स्वतन्त्र भारत की पहचान बन गया है! आज भारत का भविष्य शक्तिशाली हिन्दुस्तान बन गया है।
वक्त का स्वभाव चंचल है!
पल पल अविरल प्रवाह के तरह निरन्तरता का आभास कराते निश दिन नव प्रभात के उदीयमान सूरज के विहंगम नजारे को प्रस्फुटित कर जगत नियन्ता के साम्राज्य को सम्बृधि के तरंगों से तरंगीत सदियों से करने की परम्परा के परिपालन में आनन्दित होता है।
वर्तमान स्वाभिमान के साथ गुजर रहा है!
भविष्य में क्या होगा कौन जानता है।
मगर सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा का नारा आज जन जन के जुबान परचर्चित है?
सबके दिल में समर्पित है!
सारा विश्व भारत की ब्यवस्था को देखकर हो रहा आकर्षित है
जयहिंद🙏🙏
एस एन बरनवाल सम्पादक
9415500658

