
काव्यमंचमेघदूत के साहित्यिक मंच के माध्यम से मेरा नमन है
मेरी मां के संघर्षों की
प्रथम कहानी जब शुरू हुई
मैं अपनी मां के अंकों में थी
जेंडर टेस्ट करवाने को
बड़ा दबाव बनाया था
दादी ने भी धमकी दे डाली
बेटी का जो जन्म हुआ तो
मायके को तुम चल देना
मां भी हिम्मत हार गई
पर पापा साथ निभाए थे
तब मैं दुनिया में आई थी
जीवन के 10 वर्षों तक
लोगों के अनदेखे पन को
मैं भी समझ ना पाई थी
पर माँ पापा प्यार बहुत करते है
पापा कहते हैं मैं मां की परछाई हूं
कक्षा 8 में पहुंची जब शादी कर दो लड़की की
सुन सुन के यह मन बोर हुआ
फिर मम्मी ने हिम्मत दिखलाइ
साफ साफ शब्दों में उन्होंने
सबको था मना किया
पढ़ लेगी जब बेटी पूरा
तभी बजेगी शहनाई
इतना सुनकर मेरे मन में
खुशियों ने भी ली अंगड़ाई
इंटर पूरा किया था मैंने
कॉलेज पढ़ने की आस जगी
पापा का भी मन था मेरे
बहुत हो चुकी अभी पढ़ाई
बाकी काम सिखाओ घर के
दूजे घर भी इसको जाना है
मम्मी बोली काम तो सारे सीख लेगी
अभी आगे की करने दो पढ़ाई
पापा इस बात को राजी ना थे
पर मम्मी ने हिम्मत दिखलाइ
मेरे सखी को घर बुलवा कर
एडमिशन का फीस दिया
बोली दोनों निकलो घर
चाहे जो एडमिशन करवा करके ही आना
चाहे जो भी हो जाए
बेटा तुमको करनी है पूरी पढ़ाई
मेरे जीवन की हर तूफानों में
मेरी मां और मेरी सखी थी साथ खड़ी
जितना भी मैं धन्यवाद कर दूं
यह कर्ज चुकाया ना जाएगा
बस मैं इतना कहना चाहूं
बीता कल हो या आज का टाइम्
लड़की क्यों संघर्ष बनी फिरती है
क्या सारे संघर्षों का ठेका लड़की ने ले रखा है
पैदा होना हो तो संघर्ष करें पढ़ना हो तो संघर्ष करें
जीवन के हर सोपानों में क्यों वो ही संघर्ष करें
यह समाज से बदल गया है
पर लड़की को चुप रहना चाहिए
आज भी यही सिखाता है
जाने कैसा यह समाज है
लड़की को चुप रहना सीखलता है
अब तो प्रण करना होगा
कैसी भी हो विषम परिस्थिति
एक लड़की को दुजी लड़की के
खातिर लड़की खातिर लड़ना होगा
अस्तित्व अभी भी चिल्लाता है
क्या लड़की होना कोई सजा है
आगे की बात शेष छोड़ती हूं….
बस इतना समझो लड़की होना आसान नहीं होता
हर माँ को लड़की पैदा होने पर
खुशियों का वरदान नहीं होता
बस मा ही घर और समाज से लड़के
लड़की को मान दिलाती है…
बहुत भाग्यशाली हूं मैं
मुझको ऐसी मां मिली….
बहुत-बहुत धन्यवाद माँ 🙏🙏🙏🙏
Sweta raj
✍श्वेता राज✍( गोरखपुरी)