
श्रीमद्भागवत कथा के ज्ञान गंगा में गोता लगाते श्रद्धालु
महराजगंज,सदर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम सभा भिसवा में श्रीमद्भगवत कथा पुराण का आयोजन कथा परीक्षित श्री राम निवास गुप्ता व उनकी पत्नी श्रीमती उषा देवी के द्वारा अनुष्ठान किया गया है।
यह कथा 06/06/2022से14/06/2022 तक 9 दिन अनवरत चलता रहेगा।
यह कथा आचार्य पंडित श्री कमलेश पाठक जी के द्वारा जीवन चक्र से जुड़े प्राणियों को वास्तविक पहचान वेदव्यास की वाणी में कराया जा रहा है।
आचार्य जी ने कहा कि सनातन धर्म के 18 पवित्र पुराण हैं,
जिनमें एक भागवत् पुराण भी है।
इसे श्रीमद्भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। यह जगत के पालक श्रीविष्णुजी के धरती पर लिए गए 24 अवतारों के साथ उस दौरान उनके जीवन की कथा का भावपूर्ण वर्णन है।
12 खंडों के इस ग्रंथ में 335 अध्याय तथा 18 हजार श्लोक हैं।
इसके 10वें अध्याय में श्रीकृष्ण का जीवन सार कुछ इस प्रकार वर्णित है क यह समस्त प्राणियों के लिए सांसारिक जीवन जीते हुए ज्ञान तथा मुक्ति का मार्ग दिखाता है।
श्रीमद्भागवत कथा सुनना और सुनाना दोनों ही मुक्तिदायिनी है तथा आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है।
भागवत पुराण को मुक्ति ग्रंथ कहा गया है, इसलिए अपने पितरों की शांति के लिए इसे हर किसी को आयोजित कराना चाहिए। इसके अलावा रोग-शोक, पारिवारिक अशांति दूर करने, आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली के लिए इसका आयोजन किया जाता है।
श्रीमद्भागवत महापुराण का श्रवण करना बहुत बड़ी बात है। भागवत कथा का जो श्रवण करता या करवाता है उसे सात जन्मों के पुण्य की प्राप्ति होती है।
पौधा लगाने पर वह धीरे-धीरे वृक्ष बनता है। इसके बाद फल देना शुरू करता है। ठीक इसी तरह भागवत कथा श्रवण से ही भाग्य, पुण्य एकत्रित होता है।
कई जन्मों के पुण्य के प्रभाव से ही भागवत कथा श्रवण करने का लाभ मिलता है।
आचार्य जी ने कहा कि जैसे सूर्य का उदय होता है तो अंधकार चला जाता है, उसी तरह भागवत कथा श्रवण से व सत्संग से अज्ञानता खत्म हो जाती है।
उन्होंने कहा कि सुख-दुख दोनों में भगवान का स्मरण करना चाहिए।व्यास जी ने देवहूति के शादी का वृतांत में कहा कि राजकुमारी देवहूति ने कर्दम ऋषि के साथ उस तपोवन में रहकर पति की सेवा करती रही।
कालांतर में उन्होंने 9 पुत्रियों को जन्म दिया जिनका विवाह ब्रह्मा जी के अंश से उत्पन्न 9 ऋषियों से हुआ। इसके बाद कपिलमुनि का जन्म भी उन्हीं से हुआ।
ऋषि कर्दम ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी।
कथा सुनकर स्रोता विद्यासागर, गिरिजाशरन,आलोक,अरुण,अंकेश,अजय,अमित ,सत्यम व ग्रमीण भावविभोर हो उठे।