
रसड़ा की राजनीति में बड़ी हलचल, डीआईजी की पत्नी किरण सिंह भाजपा से मैदान में उतरने को तैयार – परंपरागत नेताओं की नींद हराम
बलिया। रसड़ा विधानसभा सीट पर राजनीति का समीकरण इस बार पूरी तरह बदलने की ओर है। अब तक सियासतदांओं और पुराने नेताओं के बीच घूमने वाली यह सीट अचानक सुर्खियों में आ गई है। वजह है वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और वर्तमान में वाराणसी रेंज के डीआईजी राजेश सिंह की पत्नी किरण सिंह। खबर है कि किरण सिंह ने भाजपा से जुड़कर रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर ली है।
भाजपा संगठन भी लंबे समय से रसड़ा में एक दमदार और नया चेहरा तलाश रहा था। ऐसे में किरण सिंह की एंट्री पार्टी के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकती है। किरण सिंह न केवल सामाजिक कार्यों से जुड़ी रही हैं बल्कि भाजपा संगठन में सक्रिय होकर基层 स्तर तक पैठ बनाने में जुटी हैं। सूत्रों का कहना है कि उनका जनसंपर्क अभियान धीरे-धीरे तेज़ी पकड़ रहा है और वह परंपरागत नेताओं को चुनौती देने के मूड में हैं।
पुराने खिलाड़ियों के लिए चुनौती
रसड़ा सीट पर वर्षों से वही पुराने चेहरे चुनाव लड़ते और जीत-हार का खेल खेलते रहे हैं। जनता के बीच यह धारणा भी बनी है कि अब तक यहां की राजनीति कुछ परिवारों या खास गुटों के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। लेकिन किरण सिंह जैसे नए चेहरे की एंट्री ने इस धारणा को तोड़ने का काम किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर भाजपा ने किरण सिंह पर भरोसा जताया तो यह चुनाव पुराने नेताओं के लिए बेहद मुश्किल हो जाएगा।
सियासी गलियारों में चर्चा तेज
डीआईजी राजेश सिंह का रसूख और प्रशासनिक पृष्ठभूमि भी किरण सिंह को मजबूत बना रही है। यही कारण है कि रसड़ा ही नहीं पूरे जिले की राजनीति में उनकी चर्चा जोर-शोर से होने लगी है। विरोधी गुट अब यह तर्क देने लगे हैं कि पुलिस अधिकारी के परिवार से आने के कारण किरण सिंह का प्रशासनिक अनुभव और नेटवर्क उन्हें सीधा बढ़त दिला सकता है।
महिला उम्मीदवार का नया कार्ड
भाजपा यदि रसड़ा से महिला प्रत्याशी उतारती है तो यह समीकरण भी पूरी तरह बदल सकता है। महिला वोटरों की बढ़ती संख्या और महिला सशक्तिकरण की लहर में किरण सिंह को भाजपा लाभकारी चेहरा मान सकती है। यह स्थिति विपक्ष के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगी।
रसड़ा की जनता में उत्सुकता
जनता अब यह जानने को बेताब है कि क्या सचमुच भाजपा किरण सिंह को टिकट देगी या यह केवल अफवाह है। लेकिन जिस तरीके से उन्होंने संगठन में सक्रियता बढ़ाई है और गांव-गांव पहुंच बनाई है, उससे यह लगभग तय माना जा रहा है कि उनकी दावेदारी बेहद मजबूत हो चुकी है।
कुल मिलाकर रसड़ा की राजनीति इस बार बेहद दिलचस्प होने वाली है। अगर किरण सिंह मैदान में उतरीं तो मुकाबला परंपरागत नेताओं बनाम नए चेहरे का होगा, जिसमें जनता का मूड किसी भी वक्त करवट ले सकता है।