
गतांक से आगे…..
कल दिनांक 26/07/2025 को दिल्ली तीसहजारी कोर्ट में मेरी पत्नी द्वारा लगाए गए झूठे मुकदमे की सुनवाई के दौरान मैंने अपने पत्नी को देखा जिसकी फोटो मैं share करता हूँ ।
उसको देखने के बाद मुझे क्या किसी को भी प्रतीत होगा जैसे एक खुशहाल जीवन में वीरानी आ गई हो।
जैसे कोई बहुत खूबसूरत मकान बिना किसी रखरखाव के धीरे धीरे खंडहर में तब्दील हो रहा हो, जैसे कोई पूर्ण स्त्री बिना सिंदूर और बिंदी के उदासीन लगती है और उसके चेहरे की सारी रौनक और आभा जा चुकी हो।
अपने परिवार के बहकावे और अपने अहंकार के कारण लोक लाज और समाज को दरकिनार कर वैधव्य का जीवन जीने में हीं अपनी जीत महसूस करती हो ।
अपने साथ साथ मेरे बेटे को भी बाप से महरूम कर उसे एक अनाथ जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर रही है।
और यह सब केवल कागज के कुछ टुकड़ों के लिए, चंद रुपयों के लिए जिसे हासिल करने में उसके साथ साथ उसका परिवार भी उसे पूरी तरह सहयोग कर रहा है।
चूंकि कल कोर्ट में मुझे अपनी पत्नी के भरण पोषण के लिए बिना मेरी स्थिति पर विचार करते हुए 40000/- (चालीस हजार रुपया) प्रति माह देने के लिए बोला है।
अगर मैं इस लायक हूँ तो मुझे अपनी पत्नी और बेटे के लिए यह पैसा देने में कोई परहेज भी नही है।
लेकिन मेरी पत्नी और अपनी बेटी के माध्यम से मेरे ससुराल वाले पैसा पाने का जो घिनौना खेल खेल रहे है उससे समाज को जरूर सचेत रहने की आवश्यकता है इसीलिए मैंने अपने पिछले संदेश में यह बताया था की समाज को ऐसे परिवार से सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि ऐसे लोग अपनी बेटी का भी घर तोड़ने में शर्म नही कर रहे है।
मुझसे लगभग 26.50 लाख रुपया लेने के बाद भी पैसे के लिए अपनी बेटी के माध्यम से case करा कर monthly खर्च के साथ साथ लगभग 50 लाख रुपया की मांग करते है।
जिसके प्रमाण के लिए case की कॉपी संलग्न कर रहा हूँ ताकि लोग इस भ्रम में न रहें की जिसे समाज सम्मानित और संभ्रांत परिवार समझता है वो क्या क्या कर सकता है। कोई भी इंसान एक सुखमय जीवन की चाह रखता है और इसके लिए पढ़ाई लिखाई, रोजगार, कड़ी मेहनत करता है और इतना सब वो केवल अपने लिए नही करता है ।
अपने परिवार की खुशी के लिए करता है लेकिन जब उसका संबंध (विवाह) किसी ऐसे घर में हो जाय जहां रिश्तों, सामाजिक प्रतिष्ठा से ज्यादा पैसो को अहमियत दिया जाय तब उस इंसान की सारी मेहनत व्यर्थ हो जाती है।
इसलिए मैंने ऐसे परिवार की असलियत से समाज को रूबरू कराने का प्रयास किया है।
थोड़ी बहुत मनमुटाव और मतभेद सबके वैवाहिक जीवन में आता है जिसे समझ-बुझ और सुलझाकर सही किया जाता है न की उसको अवसर समझकर उससे अपना लाभ निकाला जाता है ।
लेकिन यही काम आज मेरा ससुराल वाला कर रहा है।
इससे लोगो को सबक लेने की जरूरत है की ऐसे परिवार समाज को कैसा नेतृत्व प्रदान करेंगे जो अपनी बेटी के घर को नही सुलझा पा रहे है।
खैर इतना सब होने के बाद भी एक बार पुनः मैं 27 मई 2025 को अपने ससुराल बाराचट्टी गया था जहां मेरे कारण मेरे पिताजी और मेरे कई पारिवारिक सदस्यों को मेरे ससुर जी ने न जाने क्या क्या सुनाया और गाली तो जैसे उनके जीव्हा पर विराजमान रहती हो मुझे भड़ुआ , मादरचोद, पैसा के चोदल और न जाने क्या क्या बकते रहे।
जबकि मेरा जाने का केवल एक हीं उद्देश्य सुलह करना था और अगर सुलह संभव नही हो तो मेरा उनसे केवल एक हीं अनुरोध था की आपको और आपकी बेटी को तलाक हीं चाहिए तो मैं उसके लिए भी तैयार हूँ लेकिन उनलोगों का मकसद मुझे प्रताड़ित कर केवल पैसा ऐंठना ही लगता है।
इसलिए ऐसे परिवार की असलियत से समाज को आईना दिखने की जरूरत है।