
*एक नि:शक्त परिवार को प्रशासन और समाज के संरक्षण की है उम्मीद…!*✍
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*आज हम आपका परिचय अपने देश और समाज के ऐसे सीमांत परिवार से कराना चाहते हैं जिन्हें समाज और प्रशासन से सहयोग नहीं मिला है लेकिन अब इन्हें दोनों से संरक्षण की उम्मीद है।
*आप हैं जिला जमुई बिहार प्रदेश के खैरा निवासी
श्री दयानन्द बरनवाल और उनकी पत्नी श्रीमती सिया बरनवाल जी। *भूमिहीन,नि:संतान वृद्धावस्था बेसहारा हैं।तकरीबन 25-30 वर्षों से किराये के मकान मे रहते आ रहे हैं। *लॉक डाउन ने इनकी आर्थिक स्थिति को झकझोर के रख दिया है।इनको दो वक्त की रोटी तो दूर चुल्हा जलाने के लाले पड़े हें |
*जबकी सरकार भूमिहीन व्यक्ति को जमीन और आवास दोनो चीज सरकार की राहतकोष से रहने के लिए दिया जाता हे|*कहाँ गया सरकार की महत्वाकांक्षी योजना?क्यूँ नहीं मिल पता है गरीब बेसहारे लोगों को ये सुविधा।
*इस लोक डाउन में आज उनके पास राशन तक नही है। ना ही पैसे हैं राशन लेने के लिए।वृद्धा पेंशन के सहारे जी रहे है,और साथ ही साथ ,500 के किराए भी देते हैं *इस टूटे फूटे मकान के ।इस किराये के मकान आज इतनी जर्जर हो चुकी है कि अगर थोड़ी भी वर्षा हो जाये तो ,किसी कोने का सहारा ले कर रात काटनी पड़ती है।