
वाह रे उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड
अमूल्यरत्न न्यूज संवाददाता – विकास वर्मा
अवैध रूप से नियुक्त अनुभवहीन बड़का बाबू की भ्रष्टाचार्यों पर कृपा बरस रही है
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन हमेशा अपने भ्रष्टाचार की वजह से सुर्खियों में रहता है लेकिन इस बार की बात ही कुछ और है वजह है पदोन्नतियों में हो रहे भ्रष्टाचार ।
जैसे सारे विभागों में पदोन्नति का एक नियम होता है उस नियम के अंतर्गत सभी को पदोन्नति दी जाती है परंतु उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन यहां जो अवैध रूप से विराजमान बड़का बाबू है उन्होंने तो पदोन्नति वाले मामलो को भी नहीं छोड़ा। इस विभाग मे पदोन्नति की नियमावली व्यक्ति विशेष के अनुसार बदल दी जाती है कि क्या उसमें सेवा करने के गुण हैं कि नहीं ।
वैसे शक्ति भवन में बड़का बाबू के चहेतों का एक खास खेमा है जो पदोन्नति मे इस खेल को अंजाम देता है।
यहां पर भी विभागीय भ्रष्टाचार चरम पर है।
हर साल जारी होने वाली वरिष्ठता सूची अब जारी ही नहीं होती तो कैसे पता लगेगा कि कौन वरिष्ठ और कौन कनिष्ठ पदोन्नति ?
फिर तो मनमानी होगी
जैसे अधिशासी अभियंताओं की वरिष्ठता सूची जारी नहीं हुई और सीधे 24 अगस्त को , 40 अधिशासी अभियंता को अधीक्षण अभियंता की पदोन्नति की सूची जारी कर दी जाती है।
इनमें से पांच अभियंता ऐसे थे जिनकी नियमानुसार 15 साल की सेवा अवधि पूर्ण नहीं हुई थी और फिर कानाफूसी का दौर शुरू होता और कुछ शिकायते दर्ज होने के बाद 28 अगस्त को 5 अभियंताओं को फिर से अधिषासी अभियंता के पद पर वापस कर दिया जाता है।
बड़का बाबू ने इसके लिए बलि का बकरा प्रशांत कुमार उप सचिव को माना और इस गड़बड़ी का जिम्मेदार मानते हुए निलंबित कर दिया गया।
परंतु इससे बड़ा खेला तो बड़का बाबू और प्रशांत कुमार 10 महीना पहले ही खेल चुके हैं उसमें कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुआ जबकि शिकायतें मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री के दरबार तक पहुंची थी!
वो इसलिए कि उस बार चांदी के जूते का वजन इतना ज्यादा था कि सारी नियमावली उसके नीचे दबकर धराशाई हो गई।
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की अवैध रूप से नियुक्त बड़का बाबू के विशेष कृपा पात्र अधिशासी अभियंता है !
जिनका नाम वेद प्रकाश कौशल है 2021 में यह वृहद दंड से दंडित किए गए थे लेकिन इस वर्ष के आरंभ में इनको मात्र 11 वर्ष के सेवा अवधि पर ही पदोन्नति देकर अधीक्षण अभियंता बना दिया जाता है जबकि इन्हेने पदोन्नति के नियमो मे शिथिलता देते हुए मात्र 5 वर्ष मे ही अधिशासी अभियंता बना दिया गया था।
यानि पावर कॉरपोरेशन ने 2010 आईडी वाले अभियंताओं का प्रमोशन निरस्त कर दिया परंतु बड़का बाबू की विशेष कृपा से 2014 आईडी वाले वेद प्रकाश कौशल और श्रीमती बीना दयाल को पूरी बेशर्मी से प्रमोट कर दिया।
जांच का विषय यह भी है कि क्या वेद प्रकाश कौशल और श्रीमती बीना दयाल को निर्धारित अवधि में शिथिलता का लाभ दो बार मिला या दूसरी बार इनको बिना शिथिलता का आदेश के ही अधीक्षण अभियंता बना दिया गया, जैसा इस बार 5 अभियंताओं के साथ हुआ था।
आखिर करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोपी एक दागी के ऊपर इतनी मेहरबानी क्यों?
मजे की बात यह है कि इन महाशय को उत्तर प्रदेश की राज्य सतर्कता इकाई की गोपनीय जांच मे भ्रष्टाचार के मामलो मे दोषी पाया हैं और उनकी सेवा पुस्तिका में इस कृत्य को अंकित करने के लिए सतर्कता इकाई आदेश करती है और पूरे घोटाले की खुली जांच स्टेट विजिलेंस की लखनऊ शाखा कर रही हैं।
यह वही अभियंता है जो सुबह 8:30 बजे से 10 :30 बजे तक कुंभ मेला के करोड़ो रुपए की निविदाएं प्रयागराज में खोल देते और सुपर सोनिक स्पीड में 10:40 बजे लखनऊ सूचना आयोग में होते हैं, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 14 लाख की मेज बनवा देते हैं बिना नक्शे के ही पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक का ऑफिस खड़ा कर देते हैं और उस पर विधानपरिषद में जवाब देते हैं कि इनको नक्शे पास कराने की जरूरत नहीं है, दूसरी तरफ विकास प्राधिकरण में नक्शे पास करने के लिए आवेदन भी दे देते हैं!
अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं लेते है!
यहां तक कि मंत्री जी के गृह जनपद में भी एक बड़ा घोटाला करते हैं जिससे ऊर्जा मंत्री की छवि पर दाग आने की पूर्ण संभावना है इनके चक्कर में आकर कई अभियंता निलंबित हो के जांच के घेरे में आ चुके हैं अब यह प्रबंध निदेशक पश्चिमान्चल विद्युत वितरण निगम के खास बने हुए है।
चर्चा है कि इन्होंने प्रबंध निदेशक के घर में 4 इंच मोटा कालीन बिछाया है ताकि उनके बच्चा गिरने पर चोट ना खा सके और महोदय द्वारा एक दिन में 110 टेंडर निकालना व उसे खोलने का एक अद्भुत रिकॉर्ड भी बनाया गया है यह सब प्रबंध निदेशक पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की कृपा के बगैर संभव नहीं है इससे यह स्पष्ट हो गया कि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में प्रबंध निदेशक की नीति है तुम मेरा ध्यान रखो मैं तुम्हारा ध्यान रखूंगी।
निरंतर मलाईदार पदों पर रहते हुए चांदी काट रहे हैं वेद प्रकाश कौशल के बारे में चर्चा है इस बार इन्होंने अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन तक को चांदी के जूते की सेवा दी थी और तब पदोन्नति पायी थी ।
अगर ऐसे दागी अधिकारी के लिए नियमों को शिथिल किया जा सकता है तो फिर इन पांच अभियंताओं में क्या कांटे लगे हैं क्या इनके लिए नियमों मे शिथिलता नहीं किया जा सकता था ? या शायद इन इन पांच अभियंताओं को मौका नहीं मिला चांदी का जूते से सेवा करने का जिसके कारण नाराज होकर बड़का बाबू ने इन्हें पदावन्नत कर दिया क्योंकि 2014 की आईडी वाले अभियंताओं को पदोन्नति प्रदान कार दी जाती हैं लेकिन 2010 की आईडी वाले को पदोन्नति नहीं दी जाती हैं।
इससे स्पष्ट होता है कि अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन पूर्णतः भ्रष्टाचार में लिप्त है चर्चा यहाँ तक है कि वेद प्रकाश कौशल की पदोन्नति में हुए भ्रष्टाचार के मामले की शिकायत माननीय मुख्यमंत्री से लिखित रुप से भी की जा चुकी है
खैर युद्ध अभी शेष………..