महराजगंज,प्राचीन काल में भारत को सोने की चिड़िया इसलिए कहा जाता था क्योंकि भारत में काफी धन सम्पदा मौजूद थी। 1600 ईस्वी के आस-पास भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1305 अमेरिकी डॉलर थी जो कि उस समय अमेरिका, जापान, चीन और ब्रिटेन से भी अधिक थी। भारत की यह संपत्ति ही विदेशी आक्रमणों का कारण भी बनी थी ।महाराज विक्रमादित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है। भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमादित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे।प्राचीन भारत ( 3000 ईसा पूर्व से लगभग 10वीं शताब्दी ईस्वी तक ) वह काल है जब भारत को सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। इस युग में मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त आदि जैसे कई लोकप्रिय राजवंश देखे गये थे।महाराजा विक्रमादित्य का शासन काल भारतीय इतिहास का स्वर्णिम काल भी कहा जाता है और इसी स्वर्णिम काल की वजह से उस समय भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। भारत को सबसे पहले सोने की चिड़िया कहने का श्रेय भी उज्जैनी के राजा विक्रमादित्य जी को जाता है, जिन्होंने भारत को पहली बार सोने की चिड़िया कहकर संबोधित किया था।आजादी के समय यानी आज से 76 साल पहले 1947 में 10 ग्राम सोना 89 रुपए पर था जो अब 59 हजार पर पहुंच गया है। यानी इसकी कीमत 661 गुना बढ़ी है।
रिपोर्टर कैलाश सिंह महराजगंज