
👉 अमूल्यरत्न न्यूज संवाददाता
👉 गंगोह आर्य समाज गंगोह का वार्षिक उत्सव कार्यक्रम सोमवार को भी जारी रहा। आचार्य संजय याज्ञिक ने अपने उपदेश में परमात्मा के विषय में फैलाई गई भ्रांतियों का दोषी मनुष्य को बताया
👉 गगोंह सहारनपुर
वार्षिक उत्सव के तीसरे दिन आर्य उपदेशक आचार्य संजय याज्ञिक ने बताया कि जिस पदार्थ में हमारी जैसी आसक्ति है वैसा ही उससे आचरण हो पाएगा।
परमात्मा उन भ्रांतियों के लिए दोषी नहीं जो उसके विषय में लोगों ने फैलाई हैं, दोषी तो वें हैं जिन लोगों ने भ्रांतियां फैलाई हैं।
उन्होंने कहा कि परमात्मा अधिक प्रवचन, बुद्धि वृद्धि, पूजा पाठ से प्राप्त नही होता है बल्कि परमात्मा किसी व्यक्ति का तभी वरण करता है जब व्यक्ति उदार गुणों से भर जाता है।
व्यक्ति प्रवचन से नहीं बल्कि किसी के उदार गुणों को देखकर ही बदलता है। उन्होने बताया कि मुंशीराम से स्वामी श्रद्धानंद बनने वाले महापुरुष का दृष्टांत हमारे सामने है।
भजोपदेशक सुमित अंगिरस व भजनोपदेशिका निकिता आर्या ने भी अपने भजनों से श्रोताओं पर विशेष प्रभाव डाला।
इससे पूर्व दिन का आरंभ आर्य जनों द्वारा सामूहिक यज्ञ से किया गया।
इस अवसर पर उग्रपुर वैदिक गुरुकुल के संरक्षक सोम मुनि, वीरसिंह भावुक, शेखर आर्य, अमित आर्य, देवेन्द्र आर्य, नरसिंह आर्य, संजय आर्य, जगपाल आर्य, मेघराज आर्य, कर्ममुनि, सुरेन्द्र आर्य आदि मौजूद रहे