
🔯 माता लक्ष्मी की कथा 🔯
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एक बूढ़ा ब्राह्मण था वह रोज पीपल को जल से सींचता था ।
पीपल में से रोज एक लड़की निकलती और कहती पिताजी मैं आपके साथ जाऊँगी।
यह सुनते-सुनते बूढ़ा दिन ब दिन कमजोर होने लगा तो बुढ़िया ने पूछा की क्या बात है?
बूढ़ा बोला कि पीपल से एक लड़की निकलती है और कहती है कि वह भी मेरे साथ चलेगी।
बुढ़िया बोली कि कल ले आना उस लड़की को जहाँ छ: लड़कियाँ पहले से ही हमारे घर में है वहाँ सातवीं लड़की और सही।
अगले दिन बूढ़ा उस लड़की को घर ले आया।
घर लाने के बाद बूढ़ा आटा माँगने गया तो उसे पहले दिनों की अपेक्षा आज ज्यादा आटा मिला था।
जब बुढ़िया वह आटा छानने लगी तो लड़की ने कहा कि लाओ माँ,
मैं छान देती हूँ।
जब वह आटा छानने बैठी तो परात भर गई। उसके बाद माँ खाना बनाने जाने लगी तो लड़की बोली कि आज रसोई में मैं जाऊँगी तो बुढ़िया बोली कि ना,
तेरे हाथ जल जाएँगे लेकिन लड़की नहीं मानी और वह रसोई में खाना बनाने गई तो उसने तरह-तरह के छत्तीसों व्यंजन बना डाले और आज सभी ने भरपेट खाना खाया। इससे पहले वह आधा पेट भूखा ही रहते थे।
रात हुई तो बुढ़िया का भाई आया और कहने लगा कि दीदी मैं तो खाना खाऊँगा।
बुढ़िया परेशान हो गई कि अब खाना कहाँ से लाएगी।
लड़की ने पूछा की माँ क्या बात है?
उसने कहा कि तेरा मामा आया है और रोटी खाएगा लेकिन रोटी तो सबने खा ली है अब उसके लिए कहाँ से लाऊँगी।
लड़की बोली कि मैं बना दूँगी और वह रसोई में गई और मामा के लिए छत्तीसों व्यंजन बना दिए।
मामा ने भरपेट खाया और कहा भी कि ऎसा खाना इससे पहले उसने कभी नहीं खाया है।
बुढ़िया ने कहा कि भाई तेरी पावनी भाँजी है उसी ने बनाया है।
शाम हुई तो लड़की बोली कि माँ चौका लगा के चौके का दीया जला देना,
कोठे में मैं सोऊँगी।
बुढ़िया बोली कि ना बेटी तू डर जाएगी लेकिन वह बोली कि ना मैं ना डरुँगी,
मैं अंदर कोठे में ही सोऊँगी।
वह कोठे में ही जाकर सो गई।
आधी रात को लड़की उठी और चारों ओर आँख मारी तो धन ही धन हो गया। वह बाहर जाने लगी तो एक बूढ़ा ब्राह्मण सो रहा था। उसने देखा तो कहा कि बेटी तू कहाँ चली?
लड़की बोली कि मैं तो दरिद्रता दूर करने आई थी।
अगर तुम्हें दूर करवानी है तो करवा लो। उसने बूढे के घर में भी आँख से देखा तो चारों ओर धन ही धन हो गया।
सुबह सवेरे सब उठे तो लड़की को ना पाकर उसे ढूंढने लगे कि पावनी बेटी कहां चली गई।
बूढ़ा ब्राह्मण बोला कि वह तो लक्ष्मी माता थी जो तुम्हारे साथ मेरी दरिद्रता भी दूर कर गई। हे लक्ष्मी माता !
जैसे आपने उनकी दरिद्रता दूर की वैसे ही सबकी करना।