
मजदूरों को नही मिल था काम,रोटी के पड़े लाले,बैरन लौट रहे घर
– दूर दराज गांवों से आकर हर रोज सुबह महराजगंज तिराहे पर जुटते हैं मजदूर
दस बजे तक करते हैं इंतजार,
फिर निराश होकर घर लौटने को मजबूर
महाराजगंज – रोजगार की तलाश में दूर-दराज गांवों से हर रोज सुबह दिहाड़ी मजदूर महराजगंज तिराहे पर जुट रहे हैं,
लेकिन काम नहीं मिलने की वजह से उन्हें निराश अपने घरों को लौटना पड़ रहा है।
यह समस्या पिछले 15-16 दिनों से बनी हुई है।
मजदूूूूरों के चेहरे पर उनका दर्द साफ छलक रहा था।
कुरेदने पर मजदूर बोले कि साहब काम नहीं मिलने से घर का चूल्हा आखिर कैसे जले,
यह समस्या उत्पन्न हो गई है।
महराजगंज तिराहे पर मजदूरों की भीड़ जुटती है।
शहर में मकान का निर्माण कार्य करवाने वाले यहीं पहुंचते हैं और मजदूूूरों को अपने यहां काम के लिए ले जाते हैं।
जबकि रोज कमाने और रोज खाने वाले दिहाड़ी मजदूर रोजगार की तलाश में हर रोज सुबह तिराहे पर पहुंच रहे हैं।
आज सुबह करीब 1000की संख्या में मजदूर जुटे थे।
करीब दस बजे तक सभी इंतजार भी किए,
लेकिन काम नहीं मिला तो एक- एक करके मजदूर साइकिल से अपने घरों को लौटने लगे।
पूछने पर मटिहनीया के मजदूर आजिम अली ने बताया कि पिछले कई सालों से यहां काम के लिए हर रोज आते हैं।
काम भी मिलता है और उसी से परिवार का खर्च चलता है।
काफी मायूस होकर बताया कि जब रोज बिना काम के घर लौटना पड़ रहा है।
चावल-दाल तो घर में है,
लेकिन सब्जी और परिवार में बीमार पड़ने पर दवाई का इंतजाम कहां से किया जाए,
यह समझ में नहीं आ रहा है।
महाराजगंज के नूर आलम बताते है कि पिछले एक सप्ताह से काम नहीं मिला है।
जिससे परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।
ऐसे ही यदि कुछ समय और रहेगा तो पूरी गृहस्थी की लड़खडा जाएंगी।
बल्लो के रहने वाले जनार्दन व रिंकू चौहान ने बताया कि मजदूरी के सहारे घर का खर्च चलता है।
पिछले दस दिनों से काम नहीं मिला है।
जिससे परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।
यहीं पीड़ा खुटहा,
रामपुर मीर के मज़हर अली व अम्बरीष की भी है।
उनका कहना है कि पिछले एक सप्ताह से घर से नाश्ता लेकर रोज सुबह मंडी आते हैं और फिर बिना काम के घर लौटना पड़ता है।
ऐसी दशा में परिवार का खर्च चलाना भारी गुजर रहा है।
यहीं हाल रहा तो मजदूर वर्ग को कर्ज लेकर अपनी जरूरतें पूरी करनी पड़ेगी।
काम नहीं मिला तो कर्ज चुकाना भी मजदूरों के लिए मुश्किल होगा।