
“बड़ा….
गर्मी का मौसम उसपर मीठे रसीले आम का शुरुआती स्वाद….
कौन नहीं चखना चाहता
मोहन अपने घर की बालकनी में खड़े होकर चाय का लुत्फ उठा रहा था की बाहर एक रेहड़ी पर आम लिए आवाज लगाते हुए रेहड़ी वाला दिखाई दिया आम बेचने वाले की आवाज सुनकर आराध्या मचल उठी…
पापाजी पापाजी आम ….
अब बेटी कहें और पिता उसकी फरमाइश पूरी ना करें ये तो नामुमकिन सा था सो मोहन आराध्या को साथ लेकर नीचे आया और आम वाले से पूछा…
कैसे दे रहे हो भाई
बाबूजी सौ रुपए किलो
मोहन ने आम छांटकर रेहड़ी वाले की और बढ़ाए तो एक किलो में पांच आम चढ़े….
तभी पास में ही एक नंगधडंग बच्चा कूड़े बीन रहा था उसके पास आकर बोला…
साहब…
आप मुझे एक आम दे देंगे…
मुझे बहुत जोर की भूख लगी है
मोहन उसकी बात सुनकर पलभर के लिए ठिठक गया….
मन ही मन उसने हिसाब जोड़ा …
एक किलो में कुल पांच आम चढ़े है अगर एक इसे दूंगा तो बीस रुपए निकल जाएंगेइससे तो अच्छा है में इसे पांच दस रुपए देकर का टरका दूं कुछ खरीदकर खा लेगा ….
अब गरीब है ठीक से कपड़े भी नहीं है शरीर पर ….
इन पांच दस रुपए में कुछ भी खाकर पेट भर लेगा वैसे भी हम जैसे बड़े लोगों को इन गरीबों की मदद करनी चाहिए यह सोचकर मुस्कुराते हुए मोहन ने जेब से रुपए निकालने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि वह बच्चा फिर से गिड़गिड़ाया …
साहब एक आम दो ना बहुत भूख लगी है बच्चे की ललचाई नजरों को देखकर मोहन के मन में हलचल मच गई इससे पहले वो कुछ करें उसकी बेटी आराध्या बोली…
पापा…
एक आम इस भैया को दे दो ना आराध्या की मासूमियत भरी बात सुनकर मोहन मुस्कुरा दिया और उस बच्चे की और एक आम बढ़ा कर बोला…
अच्छा ले ..
जल्दी से खा ले…
लेकिन बच्चे ने आम को तुरंत अपनी फटी हुई पैंट की एकतरफा जेब में रख लिया और वहां से जाने लगा तो ये देखकर मोहन को गुस्सा आ गया वह उस बच्चे को डांटते हुए बोला ….
अभी तो तुम कह रहे थे बहुत भूख लगी है अब खाता क्यों नहीं है जेब में रखकर कहा चल दिया
साहब जी ….
यह आम है ना….
मैं अपने छोटे भाई को दूंगा दो तीन दिन पहले ऐसे ही रेहड़ी पर आम देखकर पूछा रहा था …
भइया ये आम खाने में कैसा लगता है उसने आजतक कभी आम खाया नहीं है ना वैसे खाया तो मैंने भी नही है साहब लेकिन वह खा लेगा तो उसी से उसका स्वाद पूछ लूंगा कहकर बड़ी प्यारी सी मुस्कुराहट देते हुए वह बच्चा वहां से चला गया वहीं अपनी भीगी हुई पलकों को साफ करते हुए मोहन सोच रहा था कौन है बड़ा….
एक पैसे से अमीर इंसान या ओहदे से बड़ा एक भाई जिसका दिल प्यार और ममता से भरा हुआ है…
एक सुंदर रचना…
#दीप…🙏🏻🙏🏻🙏🏻