
P376:-हरिहर पाण्डेय जी 🙏
वो सख्स जो मुश्लिम बन के मस्जिद में घुसे थे और कोर्ट को सबूत दिया था
Gyanvapi case 1991: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद पर विवाद गहराता जा रहा है. हाल ही में खत्म हुए सर्वे की लीक रिपोर्ट का हवाला देकर कहा जा रहा है कि मस्जिद में मंदिर के कई प्रमाण मिले हैं. ऐसे में एक शख्स ऐसा भी है जो मस्जिद से मंदिर के प्रमाण जुटाने के लिए मुस्लिम बनकर ज्ञानवापी में प्रवेश किया. हम बात कर रहे हैं हरिहर पांडेय की. इस मसले पर हरिहर पांडेय ने ज़ी न्यूज से खास बातचीत की है. आइये आपको बताते हैं हरिहर पांडेय ने 1991 में ज्ञानवापी में क्या देखा था.
1991 के ज्ञानवापी मुकदमे के मुख्य पक्षकार हरिहर पाण्डेय –
वो 1991 में मंदिर के सबूतों को इकट्ठा करने के लिए मुस्लिम बन ज्ञानवापी परिसर में पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि वो बाबा विश्वनाथ के पक्ष में सबूत इकट्ठा करने ज्ञानवापी परिसर में गए थे. हरिहर ने कहा, ‘उस वक्त मैं रात 1 बजे जालीदार टोपी पहनकर ज्ञानवापी परिसर में गया. मैंने मंदिर का ढांचा देखा, मैंने अपनी आंखों से मंदिर के सबूत देखे और कोर्ट को आकर बताया’.
उन्होंने कहा, ‘मैंने कलश, कमल, हाथी, मगरमच्छ की आकृतियां देखीं. मैंने देखा कि मंदिर के मलबे को पत्थरों से ढक कर रखा गया है और उसके ऊपर इमारत बनाई गई है. मलबा हटाना चाहिए, मलबा हटेगा तो ज्योतिर्लिंग दिखेगा. परिसर में कई शिवलिंग मिलेंगे.
हरिहर पांडेय ने बताया कि उनके खुलासे के बाद मुस्लिम पक्ष उनसे मिलने पहुंचा था और पूछा था कि समाधान के क्या विकल्प हैं?
उन्होंने कहा, ‘मैंने मुस्लिम पक्ष को बताया कि सड़क किनारे मेरी 8 बीघे जमीन आप ले लीजिए और मस्जिद शिफ्ट कर लीजिए, वो तैयार नहीं हुए. मैंने फिर कहा कि हम मंदिर लेकर रहेंगे और फिर मुस्लिम पक्ष चला गया. मैं ही आखिरी व्यक्ति इस केस में जिंदा बचा हूं, मेरे साथ के दो पक्षकारों की मौत हो चुकी है. मैं आखिरी सांस तक यह केस लड़ूंगा, मेरे बाद मेरे बेटे लड़ेंगे लेकिन बाबा विश्वनाथ को आजाद कराएंगे.’
हरिहर पाण्डेय ने कहा कि देश की जनता को यह भी पता होना चाहिए कि ज्ञानकूप और ज्ञानवापी का अर्थ क्या है?
उन्होंने कहा कि जब शिवजी.. पार्वती जी के साथ काशी आए तो स्वयंभू ज्योतिर्लिंग के जलाभिषेक के लिए जल की आवश्यकता थी, तो शिवजी ने अपने त्रिशूल से ज्ञानकूप बनाया और फिर जलाभिषेक हुआ. पार्वती जी को इसी स्थान पर शिवजी ने ज्ञान दिया, इसीलिए यह परिसर ज्ञानवापी कहलाता है.
हरिहर पांडे जी को हृदय से नमन करते हैं कि उन्होंने जोखिम उठा कर भी भगवान श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का सच ज्ञात किया। ।
श्री हरिहर पांडे जी और उनके परिवार को उच्च श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए क्योंकि वह एक अति महत्वपूर्ण जीवित साक्ष्य हैं और उनके बाद उनके बेटे को भी खतरा बढ़ गया है।
वैसे तो अभी दो पुलिस कांस्टेबल हरिहर पांडे जी की सुरक्षा में तैनात हैं लेकिन यह सुरक्षा हिंसक जिहादी मजहब वाले शत्रुओं का सामना करने में सक्षम नहीं हो सकेगी क्योंकि ज्ञान वापी मंदिर का मुद्दा इस समय विस्फोटक बना हुआ है और अंतरराष्ट्रीय जिहादी आतंकियों के निशाने पर आज हर वह हिंदू है जिसने ज्ञान वापी मंदिर के लिए न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया है..