
हंसती रहो तुम
अभी उठा था कि बीवी चाय रखकर पता नहीं कब चली गयी ?,चाय पीते-पीते मोबाइल टटोला किसी अनजान नंबर से पांच कॉल आये हुए थे। सोचा किसी को जरूरी काम होगा झटपट वापस फोन मिलाया, सामने से एक लड़की बोली आवाज पतली-सी थी। मैनें कहा नमस्ते,आपके इतने सारे फोन आये हुए थे और आप बोल कौन रही है ?
‘मैं प्रिया जयपुर से’ कुछ पल सोचा और कहा पर मैं तो किसी प्रिया को नहीं जानता जो जयपुर में रहती हो।
बोली ‘पर तुम मुझे तो जानते हो ना ? मैं तो तुम्हें कई सालों से जानती हूं।’
‘माफी मैडम आपने गलत नंबर लगा दिये होंगे कल, ध्यान से देखिए।’
‘नहीं नंबर बिल्कुल सही है तुम ऋतिक ही तो बोल रहे हो ना ?’
‘जी पर मैं आपको अभी तक नहीं जाना।’
‘कोई बात नहीं याद आ जाये तो वापस फोन करना वरना यहीं से अलविदा।’ कहकर फोन कट कर दिया।
‘कौन था फोन पर अभी ?’ बीवी ने पूछा।
‘प्रिया नाम बताया,और कह रही थी मुझे जानती है,पर मैं तो जयपुर एक ही बार गया हूं वो भी ऑफिस के काम से।’
‘तो कोई पुरानी मित्र ?’ मजाकिया अंदाज में बीवी ने पूछा।
‘हो सकती है,कोई शक़ है अपने पति पर ?’ ‘हां,थोड़ा-थोड़ा,अगर आपकी ये मित्र हुई तो मैं भी कॉलेज के लड़को के नंबर लेकर बातें कर लूंगी।’ इस बार उतनी मजाकिया हालत में बीवी दिखी नहीं।
खैर कोई अंजान पता नहीं क्यों बीच में आ रहा था और ये मसला दो दिन तक चलता रहा,बस बीवी पूरी नाराज हुई नहीं और कसर छोड़ी नहीं।
मैनें अब खोजबीन शुरू कर दी पिछले दस साल पहले की यादों की दोस्तों से पूछताछ की तो पता चला ये वही प्रिया है,बिना वक्त गंवाये पत्नी को हकीकत बता दी। खैर ये मामला तो सुलझा।
वो मेरी सबसे अच्छी मित्र थी हां ये अलग बात थी कि हम अक्सर लड़ाई ही किया करते थे,हमेशा कहती थी कि तुमसे जो लड़की शादी करेगी मैं उसे तुम्हारी सारी हरकतें बता दूंगी। मेरा भी जवाब होता था अगर तुम से ही हो गयी तो ? ‘सोचना भी मत’ ये ही उसका आखिरी जवाब होता था।
पर वो शादी पर आयी ही नहीं और उसके बाद हम आज तक नहीं मिले,न कोई फोन न संदेश,बस याद बन गयी।
‘याद आया कुछ ?’ संदेश पढ़ा उसका।
‘हां सबकुछ,ये बताओ कब आ रही हो मेरी बीवी को सबकुछ बताने ?’
‘क्यूं आऊं मैं ? तुम कभी आये हो ?’
‘चलो छोड़ो,ये बताओ तुम खुश हो ना ?’
‘हां बहुत,तुमसे बहुत अच्छा पति है मेरा,पर दोस्त तो तुम ही थे।’