
गांधी परिवार ने जयपुर राजघराने का खजाना लूटकर कहां छुपाया है ?
– साल 1976 की बात है… इंदिरा गांधी को आपातकाल लगाए हुए एक साल हुआ था… पूरे देश में कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी हुई थी… 10 जून 1976 को इंदिरा गांधी ने जयगढ़ किले में खजाने की तलाश के लिए आर्मी भेजी थी… 5 महीने तक जयगढ़ और आमेर फोर्ट में खजाने की तलाश होती रही… क्या है ये पूरा इतिहास… बताते हैं आपको ।
-राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने साल 1726 ईस्वी में आमेर के किले से थोड़ी दूर पर जयगढ़ किला बनवाया था
-ये किला जयपुर शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर है… किला अरावली की पहाड़ी पर बना है जो समतल जमीन से लगभग 400 मीटर ऊंचा है
-1585 ईस्वी में आमेर के राजा मानसिंह ने अफगानिस्तान के कई कबीलों को हराया था और उनका खजाना लूट लिया था… बताया जाता है कि राजा मान सिंह ने कई टन खजाना अफगानी कबीलों से छीनकर उसे आमेर के किले में गाड़ दिया था.. और इस बारे में मान सिंह और उनके विश्वस्त लोगों के अलावा किसी को भी जानकारी नहीं थी
– मुगलों का राज चला गया… अंग्रेजों का राज चला गया और फिर जब देश आजाद हुआ तब इमरजेंसी के दौरान एक किताब काफी चर्चा में आई जिसका नाम था… हत्फ-तिलिस्म-ए-आंबेरी… ये किताब का नाम है हिंदी में इसका अर्थ होता है… आमेर किले के 7 खजाने
-इस किताब हत्फ-तिलिस्म-ए-आंबेरी में ये बात लिखी गई कि आमेर के किले में पानी के अंदर सात खजाने हैं… इस किताब की चर्चा इंदिरा गांधी तक भी पहुंची… उस वक्त एक राजनेता रहे वकार-उल-अहद के पूर्वज जयपुर के राजघराने से जुड़े रहे थे और उन्होंने गांधी परिवार को कन्विंस किया था कि खजाना जयपुर के किले में है
-आखिर 19 जून 1976 को इंदिरा गांधी ने जयगढ़ फोर्ट के अंदर आर्मी और इंकम टैक्स की टीम को भेजकर खजाने की तलाश शुरू करवाई ।
-उस वक्त जयपुर राजघराने की महारानी… महारानी गायत्री देवी थी… आपातकाल तो लगा ही हुआ था… इंदिरा गांधी ने गायत्री देवी को तिहाड़ जेल में बंद करवा दिया… इंदिरा गांधी की गायत्री देवी से पुरानी दुश्मनी थी… गायत्री देवी पश्चिम बंगाल के कूचबिहार रियासत के राजा जीतेंद्र नारायण की बेटी थीं और उनका विवाह जयपुर जयघराने में हुआ था… इंदिरा और गायत्री देवी दोनों रवींद्र नाथ टैगोर के शांति निकेतन में पढ़ी थीं और यहीं से दोनों के बीच नफरत थी
-1962 में जब चुनाव हुए तो जयपुर लोकसभा सीट पर गायत्री देवी ने कांग्रेस के कैंडिडेट शारदा देवी को वर्ल्ड रिकॉर्ड वोटों (एक लाख 92 हजार) से हरा दिया था… इससे गांधी परिवार और किलस गया था
– आखिर इंदिरा को दुश्मनी निकालने का सुनहरा मौका मिल गया… इंदिरा ने आमेर और जयगढ किले के आसपास पूरा कर्फ्यू लगा दिया और खजाने की तलाश शुरू करवा दी
– तीन महीने तक जयगढ और आमेर के किले में खुदाई चलती रही… जयगढ और आमेर एक सुरंग से जुड़े हुए थे… और खजाने की तलाश में दोनों किलों को पूरी तरह से तहस नहस कर दिया गया था
-लेकिन बात छुपी नहीं धीरे धीरे बात फैल गई… 11 अगस्त 1976 पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो इंदिरा गांधी को लेटर लिखा कि हमें ये जानकारी मिली है कि आप जयपुर फोर्ट में खजाना तलाश कर रही हैं अगर खजाना मिलता है तो हमें भी हमारा हिस्सा दिया जाए । जुल्फिकार अली भुट्टो ने कहा कि 1947 में हुए समझौते के मुताबिक अगर भारत को 1947 के पहले का कुछ भी नया खजाना मिलता है तो उसमें पाकिस्तान का भी हिस्सा है… इंदिरा गांधी ने इस पत्र का उत्तर कई महीनों के बाद दिया
– नवंबर 1976 में इंदिरा गांधी ने आदेश दिए कि अब तलाश बंद कर दी जाए… तलाश बंद कर दी गई… इसके बाद इंदिरा गांधी ने जुल्फिकार अली भुट्टो को जवाब दिया कि कानूनी रूप से पाकिस्तान का भारत के किसी खजाने पर कोई दावा सही नहीं है लेकिन इस बात की चर्चा करना भी बेकार है क्योंकि कोई खजाना मिला ही नहीं है
-इसके बाद इंदिरा गांधी की सरकार ने आधिकारिक रूप से ये घोषणा की थी कि तलाश में 230 किलो चांदी मिली है…
-लेकिन उस वक्त कई ऐसी घटनाएं हुई जिनसे ये पता चलता है कि इंदिरा गांधी को बड़ा खजाना मिला और ये सारा खजाना गांधी परिवार ने धीरे से दबा लिया
-दरअसल… जिस दिन इंदिरा गांधी ने ये घोषणा की थी कि अब तलाशी रोक दी जाए उस दिन जयपुर दिल्ली हाईवे बंद कर दिया गया था और कई बड़े बड़े ट्रक दिल्ली की तरफ गए थे… कोई भी आम इंसान उस दिन हाईवे पर जा ही नहीं पाया
-ये भी कहा जाता है कि खजाना पहले दिल्ली मंगवाया गया और फिर दो प्लेनों में भरकर सारा खजाना स्विटजरलैंड भेज दिया गया…
-इस बात का भी कोई जवाब नहीं मिलता है कि आखिर 6 महीने तक दोनों किलों में इंदिरा गांधी क्या तलाश करवाती रहीं और अगर कुछ नहीं मिल रहा था तो तलाशी 5 महीने तक कैसे चलती रही
-बड़ी बात ये कि उस वक्त के राजनेता रहे वकार उल अहद ने ये कहा कि आंबेर के किले में 7 खजाने थे और इंदिरा गांधी को सिर्फ एक ही खजाना मिल पाया बाकी 6 खजाने आज भी वहीं पर गुप्त रूप से मौजूद हैं
-कुल मिलाकर ये एक परिकथा जैसी मालूम होती है… लेकिन गांधी परिवार जब कुछ नौकरी करता ही नहीं है तो आखिर उसका खर्च कैसे चलता है ? 55 सालों के राज में गांधी परिवार एंड कंपनी ने देश का खजाना लूटकर विदेशों में कहां कहां भेज दिया ? ये आज भी एक बड़ा रहस्य है ।
धन्यवाद
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