व्यापारिक प्रवास के दौरान इटावा से लगभग 300किलोमीटर की दूरी पर स्थित *बरनवाल समाज के आदि पुरुष महाराजा अहिवरन जी के जन्मस्थान एवम कर्मस्थली बुलंदशहर जाने का सौभाग्य मिला* वहां जाकर *किला की स्थिति और किले के दोनो ओर लगभग दो किलोमीटर तक मुसलमानों की अति घनी* आबादी वाली कॉलोनी को देखकर ऐसा विश्वास हो गया की मोहमद गजनी की सेना निश्चित रूप से हजारों हिंदुओं को धर्म परिवर्तन कराने के लिए मजबूर किया होगा ,अपने समाज के कुछ प्रबुद्ध लोगों से मिलने का भी अवसर मिला जिन्होंने अतीत और वर्तमान स्थिति से अवगत कराया बरनवाल समाज द्वारा संचालित धर्मशाला, स्कूल और मंदिरों के बारे मे भी जानकारी प्राप्त हुआ इस दौरान हमारे साथ युकभा मोटर के रीजनल मैनेजर श्री मुकेश बरनवाल जी, बुलंदशहर के जाने माने चार पीढी के वैध डाक्टर अमोल गोयल जी , श्री तनुज गोयल जी का भरपूर सहयोग मिला मैंने उस मन्दिर प्रांगण में एक *राजा अहिवरण जी की आदम कद मूर्ति स्थापित करवाने का सुझाव दिया* जिससे बुलंदशहर बरनवाल *समाज का तीर्थ स्थली बने* और पूरे देश विदेश के बरनवाल परिवार के लोग अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करने उपस्थित हो सके अनलोगों ने इस सुझाव को सराहा और आश्वासन दिया की हमलोग इस विषय पर बातचीत कर सुचित करते हैं आप हम सब मिलकर सभी के सहयोग से यह कार्य को पूरा किया जा सकता है