कुख्यात पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से टकराने वाला बहादुर IPS बच्चू सिंह मीणा का आज वर्दी में आखिरी दीन 🇮🇳 रोहतास में रह चुके हैं SP ! पूर्णिया पोस्टिंग के दौरान इकलौते बेटे की हत्या हुई थी !
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पूर्व बाहुबली सांसद और राजद के मरहूम नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के गढ़ सीवान में उनके पसीने छुड़ाने वाले तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी, बच्चू सिंह मीणा का वर्दी में आज आख़िरी दिन है।
“सासाराम की गलियाँ” और बच्चू सिंह मीणा
वर्ष 2003 से वर्ष 2005 तक सासाराम, विक्रमगंज और डेहरी अनुमंडल इस होनहार IPS के आभामंडल से गुलज़ार हुए। दरअसल, इसी समय वह इस ज़िले के SP थे।

वर्तमान में बच्चू सिंह मीणा
सन् 1996 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बच्चू सिंह मीणा फिलहाल स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के रूप में कार्यरत थे। अपनी कर्तव्यनिष्ठा और कड़े फैसलों के लिए जाने जाने वाले मीणा ने बिहार में अपने कार्यकाल के दौरान कई चुनौतीपूर्ण स्थितियों को संभाला।
‘ऑपरेशन प्रतापपुर’ और प्रसिद्धि
आईपीएस बच्चू सिंह मीणा को सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि 16 मार्च 2001 को सीवान में चलाए गए ‘ऑपरेशन प्रतापपुर’ से मिली। उस समय वह सीवान के एसपी थे और उन्होंने खुद इस पूरे ऑपरेशन को लीड किया था, जिसका उद्देश्य शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करना था।
घंटों चली इस भयंकर मुठभेड़ में शहाबुद्दीन के 11 समर्थक मारे गए थे, जबकि पुलिस के हवलदार बासुकी नाथ पांडे शहीद हुए थे। इस कड़े पुलिस एक्शन के दौरान ही बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन को गिरफ्तारी से बचने के लिए बुर्का पहनकर घटनास्थल से दुम दबाकर भागना पड़ा था।
‘ऑपरेशन प्रतापपुर’ के दौरान जब पुलिस टीम शहाबुद्दीन के गाँव प्रतापपुर पहुँची, तो उन पर ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार शुरू हो गई थी।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस टीम ने स्पेशल टास्क फोर्स के साथ मिलकर पीछे हटने की बजाय मोर्चा संभाला। यह भी बताया जाता है कि वरिष्ठ अधिकारी पीछे हटने का आदेश न दे सकें, इसके लिए उस समय ऑपरेशन टीम द्वारा तमाम वायरलेस सेट बंद कर दिए गए थे। यह कदम उस वक्त के एसपी बच्चू सिंह मीणा के कड़े इरादों को दर्शाता है।
राजस्थान के निवासी बच्चू सिंह मीणा ने बिहार में कई महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने विभिन्न जिलों में एसपी के रूप में सेवा देने के अलावा, पूर्णिया रेंज और मगध क्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक का पद भी संभाला। वह विशेष शाखा के आईजी भी रहे।
लगभग चार महीने पहले ही उन्हें इसी विभाग में प्रोमोशन दिया गया था, जिसके बाद वे एडीजी के रूप में नियुक्त हुए। आज, उनकी सेवाओं के अंतिम दिन, उन्हें एक कड़क और बेदाग छवि वाले अधिकारी के रूप में याद किया जा रहा है।
बच्चू सिंह मीणा के इकलौते बेटे की हत्या
किसी पिता के लिए सबसे बड़ा दर्द होता है जवान बेटे की अर्थी उठाना, और वह भी तब जब बेटा इकलौता हो। बिहार कैडर के वरीय IPS अधिकारी बच्चू सिंह मीणा और उनका परिवार बीते तीन वर्षों से भी अधिक समय से इस दर्द को यह सोचकर सहन कर रहे थे कि बेटे के हत्यारों को अदालत कठोर सज़ा देगी।
परंतु सिक्किम की अदालत ने वर्ष 2016 में जैसे ही रक्षित के पाँचों हत्यारों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया, उससे वरीय IPS अधिकारी और उनकी पत्नी का दर्द एक बार फिर छलक आया।
सिक्किम के मणिपाल विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में दूसरे वर्ष का होनहार छात्र रक्षित मीणा (22) की गंगटोक स्थित एक पब में 18 मई 2013 की रात स्थानीय छात्रों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।
रक्षित इस पब में अपने एक दोस्त के साथ जन्मदिन की पार्टी मनाने गया था। जिस वक्त यह घटना घटी, रक्षित के पिता और 1996 बैच के IPS अधिकारी बी एस मीणा पूर्णिया में DIG थे।
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