लता मंगेशकर से लेकर मनोज कुमार, श्रीदेवी, शशि कपूर समेत कई कलाकारों की अंतिम विदाई राजकीय सम्मान के साथ दी गई। अब ऐसे में सवाल पैदा होता है कि, आखिर धर्मेंद्र को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई क्यों नहीं दी गई।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो धर्मेंद्र के परिवार की तरफ से समय पर एक्टर के निधन की जानकारी प्रशासन को नहीं दी गई। ऐसा कहा जा रहा है कि, देओल परिवार ने अंतिम संस्कार में जल्दबाजी दिखाई।
दरअसल, ये एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत परिवार को सरकार की ओर एक आधिकारिक प्रस्ताव भेजना होता है, जिसमें कुछ समय लगता है।
रिपोर्ट्स की माने तो किसी भी व्यक्ति को राजकीय सम्मान दिलाने के लिए परिवार को सबसे पहले प्रशासन को सूचना देनी होती है। इतना ही नहीं बल्कि एक रिक्वेस्ट लेटर भेजा जाता है जिसमें मृतक की उपलब्धियों और पुरस्कारों के बारे ने बताया जाता है, साथ ही उनकी सार्वजनिक सेवा के बारे में भी उल्लेख किया जाता है।
वहीं प्रशासन मृतक के कार्यों को पूरी तरह से देखने के बाद ही राजकीय सम्मान के लिए मंजूरी देता है। इसी प्रक्रिया के बाद सरकारी ऑफिसर्स की उपस्थिति में प्रशासन की ओर से सलामी और “गार्ड ऑफ ऑनर” दिया जाता है।
धर्मेंद्र 24 नवंबर को 89 की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए। बतौर अभिनेता उन्होंने अपने करियर में कई रिकॉर्ड बनाए हैं। उन्होंने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और यादगार किरदार निभाए। साथ ही उन्हें पद्मभूषण समेत कई अवॉर्ड्स से नवाजा गया।
बता दे, धर्मेंद्र को साल 1997 में हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए फिल्मफेयर का “लाइफटाइम एचीवमेंट अवॉर्ड” दिया गया था। वहीं 2012 में उन्हें पद्म भूषण से भी नवाजा गया था।
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धर्मेंद्र हिंदी सिनेमा में अपने योगदान के लिए “राजकीय सम्मान” के हकदार थे?

