भोपाल की एक होनहार लड़की अपने पिता के शादी के दबाव से परेशान होकर घर से निकल गई।
उसका लक्ष्य केवल पढ़ाई जारी रखना और UPSC की तैयारी करना था।
जनवरी 2025 में वह इंदौर चली गई, जहां एक निजी कंपनी में नौकरी करके अपने खर्च पूरे करने लगी और साथ ही सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गई।
परिवार ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई और महीनों तक कोई जानकारी नहीं मिली।
बाद में पुलिस ने आधार कार्ड में अपडेट किए गए मोबाइल नंबर से उसकी लोकेशन का पता लगाया और उसे इंदौर से भोपाल लाया। लड़की ने स्पष्ट कहा कि वह अपने सपनों को छोड़कर वापस घर नहीं जाना चाहती।
उसने बताया कि वह स्कूल के समय से ही IAS बनने के लक्ष्य पर केंद्रित थी।
पिता और अन्य भाई-बहनों के बिहार लौट जाने के बाद भी लड़की घर जाने को तैयार नहीं हुई।
हाईकोर्ट में पेशी के दौरान उसने पिता के साथ भेजे जाने से इनकार किया और अपनी पढ़ाई जारी रखने की इच्छा रखी।
अदालत ने उसे ब्राइट चाइल्ड कहते हुए माना कि वह UPSC की तैयारी को लेकर गंभीर और समर्पित है।
इसके बाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया और बिहार की IAS अधिकारी बंदना प्रेयशी को उसका आधिकारिक मेंटोर और गाइड बनाया।
IAS बंदना ने इसे सम्मान की बात बताते हुए कहा कि वह पढ़ाई, तैयारी या ज़रूरत पड़ने पर आर्थिक सहायता तक, हर संभव तरीके से उसका साथ देंगी।
यह निर्णय उस लड़की के लिए न सिर्फ सुरक्षा बल्कि उसके सपनों तक पहुंचने का एक सशक्त मार्ग भी बन गया।
यह कहानी बताती है कि जब कोई लक्ष्य को लेकर स्पष्ट और दृढ़ होता है, तो हालात चाहे जितने कठिन हों, रास्ते खुद बनने लगते हैं।

