 
                पत्नी को लड़कर पीहर गए पांच दिन हो गए थे।
सतीश को नींद नही आ रही थी।
वह करवटें बदल रहा था।
रात के एक बजे पत्नी का फोन आया।
उसने तुरंत उठा लिया।
फोन उठाते ही राधिका बोली ” अभी तक जाग रहे हो?
सतीश तुरंत बोला ” तुम भी तो जाग रही हो?”
काफी देर तक चुप्पी छाई रही।
फिर सतीश को लगा जैसे वह रो रही है।
वह बोला ” क्या हुआ?
तुम तो कहकर गई थी ना कि अब कभी लौट कर नही आऊँगी।
ना कभी फोन करूँगी।
मुझ जैसे खडूस इंसान के साथ अब तुझे रहना ही नही है न?
फिर क्यों रो रही हो?
” राधिका ने काफी देर तक जवाब नही दिया।
फिर खुद को संयत करते हुए बोली ” तुम पुरुष हो न।
एक औरत की फिलिंग्स कभी नही समझोगे।
जब एक औरत कहती है कि पीहर चली जाऊंगी तब वह चाहती है। पुरुष उसे रोके।
कहे कि तुम्हारे बिना दिल नही लगेगा मत जाओ।
जब वह बीमारी का बहाना करती है तो चाहती है तुम उसका हाल पूछो। परवाह दिखाओ।
तुम्हे तो पत्नी के जरा भी नखरे उठाने नही आते।
” सतीश चुप था।
वह बोली” पांच दिन हो गए पीहर आये हुए।
एक पल भी ऐसा नही गुजरा जब मैंने तुम्हारे फोन का इंतजार नही किया हो।
एक रात भी ढंग से सो नही पाई।
लत लग गई है तुम्हारे हाथ का तकिया बना कर सोने की।
” कहकर वह रोने लगी।
सतीश बोला ” मै भी कहाँ सो पाया हूँ।
थोड़ी सी आवाज होती है दौड़ कर दरवाजे पर जाता हूँ देखता हूँ शायद तू लौट आई है।
तेरे बिना सब कुछ सुना सुना है।
” इतना सुनकर राधिका के दिल को तसल्ली मिली।
वह बोली ” चलो अभी मुझे लेने आओ।
” वह बोला ” सुबह आ जाऊंगा।
इतनी रात को तीस किलोमीटर का सफर करके आना मुश्किल नही होगा क्या?
“राधिका जिद करके बोली ” मुझे नही पता कैसे आओगे।
मगर अभी आओ। यहाँ आकर सो जाना।
सुबह होने पर चलेंगे।
पहली बार अकेली पीहर आई हूँ।
औरतें बातें बना रही है।
तुम अभी आओगे तभी मेरे दिल को तसल्ली मिलेगी।
” सतीश बोला ” आ रहा हूँ।
” पत्नी के दिल की तसल्ली के लिए वह आधी रात को अपने ससुराल पहुंचा।
राधिका उसे देखते ही गले से चिपट् गई।
पांच दिन से दिल बेकरार सा था।
पति का स्पर्श पाते ही दिल को करार आ गया।
जब एक दूसरे की लत लग जाती है तभी से पति पत्नी का असली रिश्ता शुरू होता है।

 
                         
                     
  
  
  
  
  
  
                                     
                                     
                                     
                                    