 
                रामपुर, यूपी के रहने वाले शकील जी!
छः बच्चों के अब्बू…!
बच्चे तो पैदा कर लिए शकील जी..
लेकिन अब समधी जोड़ने की बड़ी जल्दी थी इन्हें।
तो अपने नाबालिग बेटे के लिए पड़ोस के ही खेमपुर गाँव में निकाह सेट कर दिया।
अब चूंकि होने वाली बहु भी नाबालिग थी तो शकील जी को लगा कि बहु रानी को घर-गृहस्थी के बारे में थोड़ी तालीम दी जानी चाहिए।
जब तक निकाह न हो जाता तब तक कुछ न कुछ रोज इससे संबंधित तालीम देनी चाहिए।
तो शकील जी अपने अनुभव का सारा निचोड़ अपनी बहु को देते थे।
ऐसे ही तालीम देते-देते घँटों फोन में व्यतीत हो जाता था और पता भी नहीं चलता था।
आखिरकार गूढ़ तालीम लेना है तो समय तो चाहिए ही चाहिए।
ऑडियो कॉल में तालीम अच्छे से नहीं हो पाने लगी तो शकील जी वीडियो कॉल के माध्यम से तालीम देने लगे।
वीडियो कॉल में तालीम हासिल करते-करते होने वाली बहु अब घर-गृहस्थी के ज्ञान में पारंगत हो गई थी।
इधर शकील जी को भी लगा कि बहु तो पारंगत हो गई लेकिन बेटा तो अभी भी नाबालिग ही है और बालिग होने में टाइम लगेगा…!
तो बालिग बहु को नाबालिग शौहर के लिए और इंतजार न करना पड़े इस पीड़ा को समझते हुए शकील जी ने एक पुनीत कार्य करने का फैसला लिया।
उन्होंने फैसला लिया कि बेटा तेरे बालिग होते-होते मैं दूसरी कन्या ढूंढ़ दूँगा।
लेकिन ई वर्तमान बहु का पीड़ा हमसे देखा नहीं जा रहा है।
अतः मैं इसको भगा के ले जा रहा हूँ और निकाह कर रहा हूँ।
कुछ दिन बाद वापिस आऊंगा तो अपनी नई अम्मी के इस्तकबाल के लिए तैयार रहना।
शकील जी के इस पुनीत कार्य के लिए आप क्या कहेंगे मित्रों।
इस समय रिश्ते की सारी परिभाषाएं खत्म हो चुकी है।
इंसान मनुष्य कम पशु ज़्यादा होता जा रहा है । अभी कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है तो ये दशा है आगे क्या क्या होगा बस यही देखना बाकी रह गया है

 
                         
                     
  
  
  
  
  
  
                                     
                                     
                                     
                                    