
मित्र वो जो साँसों से साँसे जोड़ दे…
यह कहानी मध्यप्रदेश पुलिस के डीजीपी श्री कैलाश मकवाना और उनके बचपन के मित्र ASI सुरेश शाक्य उर्फ हनुमान की है।
हनुमान जी का एक दिन एक्सीडेंट हुआ तो अस्पताल में भर्ती थे। पिछले कई दिनों से बेहोश थे लेकिन जिस दिन डीजीपी सर मिलने गए और यह बोला कि मैं कैलाश तो घायल हनुमान ने पलक झपकाई। मौके पर उपस्थित लोग देखकर दंग रह गए कि परिवार की आवाज सुनकर जिसकी आँखों नहीं खुली वो मित्र की आवाज पहचान गया। मुझे लगता है कि मित्रता से बड़ा कोई रिश्ता नहीं क्योंकि बिना खून का संबंध होता है जो मरते दम तक निभाया जाता है। बचपन के दो मित्र जिनकी मित्रता पद प्रतिष्ठा के बाद भी कम नहीं हुई। फ़िल्मों से लेकर समाज में भी यही देखने को मिलता है कि जब एक मित्र बड़ा या अमीर हो जाता है तो अपने संघर्ष के दिनों वाले मित्रों को भूल जाता है लेकिन DGP सर और ASI दोनों की असली मित्रता थी जो मित्र के न रहने के बाद भी अमर रहेगी।
इसीलिए कहते हैं कि
मित्र वो नहीं जो मुश्किलों में साथ छोड़ दे,
सच्चा मित्र वो जो जरूरत पड़ने पर साँसों से साँसे जोड़ दे।
सुरेश शाक्य जी को सादर नमन..श्रद्धांजलि
#friendship